Sunday, Jun 04, 2023
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high court''''s decision in favor of char dham devasthanam board, trivandra government welcomed

चार धाम देवस्थानम बोर्ड के पक्ष में हाईकोर्ट का फैसला, त्रिवेंद्र सरकार ने किया स्वागत

  • Updated on 7/21/2020

देहरादून/ब्यूरो। उत्तराखंड के प्रमुख मंदिरों गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ के प्रबंधन और व्यवस्थापन को लेकर गठित देवस्थानम बोर्ड पर मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इसे भंग करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। यानी इसके गठन को लेकर सरकार द्वारा शुरू की गयी प्रक्रिया जारी रहेगी और उत्तराखंड के मुख्य मंदिरों का प्रबंधन देवस्थानम बोर्ड के हाथों में रहेगा।

कोर्ट का फैसला आते ही सीएम त्रिवेन्द्र ने अपने आवास में पत्रकार वार्ता बुलायी। मुख्यमंत्री ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि देवस्थानम बोर्ड का गठन आने वाले समय को ध्यान में रखते हुए किया गया है। आने वाले समय में यहां यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। चारों धाम में अवस्थापना संबंधी सुविधाएं भी बढ़नी है।  उन्होंने साफ किया कि किसी भी पंडे या पुरोहित या अन्य किसी के अधिकारों पर कोई आंच नहीं आएगी। सरकार उनका पूरा ध्यान रखेगी। सीएम ने कहा कि सौ वर्ष पहले का गजेटियर देखें। उस समय भी प्रतिवर्ष 50 से 60 हजार श्रद्धालु आते थे। उस समय इन श्रद्धालुओं की देखरेख, उनके रहने खाने की व्यवस्था, स्थानीय पंडित, पुरोहित ही करते थे। ऐसे ही लोगों ने उत्तराखंड को देवभूमि बनाया है। हम किसी भी हालत में इनका हक प्रभावित होने नहीं देंगे।

सीएम ने यह भी कहा कि हम परंपराओं से समझौता नहीं करने जा रहे हैं। परंपराओं का भारत ही नहीं अन्य देशों में भी ध्यान रखा जाता है। हमने यही बात अदालत में भी रखी और न्यायालय का फैसला हमारे पक्ष में आया। इसके बावजूद राजनीतिक कारणों से यदि कोई विरोध करता है तो यह उसकी सोच है। हालांकि जब याचिकाकर्ता के वकील सुब्रमण्यम स्वामी के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने  कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

सीएम ने कहा कि इसे किसी की हार जीत के रूप में नहीं लेना चाहिये। कभी कभी जानबूझकर भी संशय पैदा किए जाते हैं । अब मुझे लगता है कि किसी को सुप्रीम कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।  उन्होंने यह भी साफ किया कि बोर्ड के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीस साल से देवस्थानम बोर्ड जैसे किसी बोर्ड के गठन पर मंथन चल रहा था। पहले निर्वाचित सीएम एनडी तिवारी ने भी इसका प्रयास किया। किसी कारण से वह सफल नहीं हो पाए। राज्य के 19 वर्ष पूरे होने पर मैंने इसके गठन का प्रस्ताव किया और यह बोर्ड अस्तित्व में आ चुका है। उन्होंने इशारा किया कि इस पर पीएम की भी सहमति है।

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