नई दिल्ली / टीम डिजिटल। बाॅलीवुड फिल्मों के गीतकार जावेद अख्तर अकसर अपनी बयानबाजी के चलते सुर्खियों में छाए रहते हैं। हाल ही में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक और विश्व हिंदू परिषद की तुलना तालिबान से की थी जिसके बाद उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ा। वहीं अब जावेद अख्तर ने हिंदुओं को दुनिया का सबसे सहिष्णु समुदाय बताया है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे लेख में उन्होंने कहा है कि तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान की तुलना भारत से कभी नहीं की जा सकती। उन्होंने भारतीयों को नरम विचारधारा वाला बताया है।
शिवसेना ने जताई थी नाराजगी
जावेद अख्तर द्वारा आरएसएस की तालीबान से तुलना करने से खफा शिवसेना ने अपने मखपत्र सामना में ही लेख लिख कर नाराजगी जताई थी। ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘आप कैसे कह सकते हैं कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा का समर्थन करने वाले तालिबानी मानसिकता के हैं? हम इससे सहमत नहीं हैं।’
शिवसेना के मुखपत्र में आगे कहा गया कि हिंदुत्व की तालिबान से तुलना करना हिंदू संस्कृति का ‘अपमान’ है। इसमें कहा गया, ‘एक हिंदू बहुल देश होने के बावजूद, हमने धर्मनिरपेक्षता का झंडा फहराया है। हिंदुत्व के समर्थक केवल यही चाहते हैं कि हिंदुओं को दरकिनार न किया जाए।
शिवसेना ने सामना के जरिए जावेद अख्तर की तालिबान से जुड़ीं संघ और विहिप पर की गई टिप्पणियों पर सवाल उठाए गए थे। सामना में प्रकाशित संपादकीय में अख्तर के बयान को हिंदू संस्कृति के लिए अपमानजनक बताया गया था।
जावेद अख्तर के बयान पर भड़की शिवसेना, कहा- RSS की तालिबान से तुलना गलत
पार्टी ने लिखा था कि देश में जब- जब धर्मांध, राष्ट्रद्रोही विकृतियां उफान पर आईं है उन प्रत्येक मौकों पर जावेद अख्तर ने उन धर्मांध लोगों के मुखौटे फाड़े हैं। कट्टरपंथियों की परवाह किए बगैर उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ गाया है, फिर भी संघ की तालिबान से की गई तुलना हमें स्वीकार नहीं है।
भारत कभी अफगानिस्तान जैसा नहीं बन सकता इस बार जावेद अख्तर ने सामना में लिखा कि दुनिया में हिंदू सबसे ज्यादा सभ्य और सहिष्णु समुदाय हैं, मैंने इसे बार-बार दोहराया है और इस बात पर जोर दिया है कि भारत कभी अफगानिस्तान जैसा नहीं बन सकता, क्योंकि भारतीय स्वभाव से चरमपंथी नहीं हैं। सामान्य रहना उनके डीएनए में है।
अख्तर ने आगे लिखा कि उनके आलोचक इस बात से नाराज है कि उन्होंने तालिबान और दक्षिणपंथी हिंदू विचारधारा में कई समानताएं बताई हैं।
सामना में जावेद ने लिखा कि यहां कई समानताएं हैं। तालिबान धर्म के आधार पर इस्लामिक सरकार का गठन कर रहा है, हिंदू दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्र चाहते हैं। तालिबान महिलाओं के अधिकारों पर रोक लगाना और उन्हें हाशिए पर लाना चाहता है, हिंदू दक्षिणपंथियों ने भी यह साफ कर दिया है कि वे महिलाओं और लड़कियों की आजादी के पक्ष में नहीं हैं।
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