नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। इतिहासकार और लेखक एस इरफान हबीब ने शनिवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सरदार पटेल, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों को अपना रहा है क्योंकि उसके पास अपना कोई ऐसा नेता नहीं है जिससे भारत के लोग जुड़ाव महसूस कर सकें। हालांकि आरएसएस विचारकों की ओर से कहा गया कि कांग्रेस शासन में इन महान नेताओं की अनदेखी की गयी।
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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में साहित्य आजतक कार्यक्रम के तहत आयोजित सत्र ‘‘ सावरकर और हिन्दुत्व’’ में बोलते हुए हबीब ने कहा, ‘‘ चाहे सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस हो या भगत सिंह इन प्रतीकों को सघं शुरू से स्वीकार कर रहा है। मुझे एक नाम बताइये जो उनके अपने थे और जिसके पीछे वे खड़े हुए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास कोई नहीं है जिसको लेकर वे जनता के बीच जाए, ऐसा कोई नहीं जिनसे भारत के लोग जुड़ सकें।’’
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आरएसएस के विचारक देश रत्न निगम ने प्रतिवाद करते हुए कांग्रेस की नेतृत्व वाली सरकारों पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन लोगों ने इन हस्तियों को नजरअंदाज किया तथा संघ ने यह सुनिश्चित किया कि इन दिग्गजों को भुलाया नहीं जाए। निगम ने कहा, ‘‘जिसे आप अपनाना कह रहे हें मैं उसे समुचित महत्व देना कहूंगा। कांग्रेस ने गत 70 साल में पटेल या सावरकर को वह सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। आरएसएस ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि वे राष्ट्रीय प्रतीक हैं और उन्हें भुलाया नहीं जाना चाहिए।
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हाल में भाजपा की महाराष्ट्र प्रदेश इकाई ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में हिन्दू राष्ट्रवादी विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग की थी जिसपर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। निगम ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सावरकर इस सम्मान के हकदार हैं। निगम ने कहा, ‘‘ संघ ने कभी भी किसी के नाम की पुरस्कार के लिए पैरवी नहीं। हमारे अपने नेताओं जैसे गोलवलकर और हेडगवार ने कभी सम्मान नहीं चाहा। बदले में कुछ पाना, यह हमारी विचारधारा नहीं है।’’
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सावरकर के बारे में हाल में ही आयी एक पुस्तक के लेखक एवं पत्रकार वैभव पुरंदरे ने कहा कि भले ही केशव बलिराम हेडगेवार सावरकर के हिन्दुत्व संबंधी विचारों से प्रेरित था किंतु सावरकर वैज्ञानिक विचार रखते थे तथा वह इतिहास के आरएसएस संस्करण से सहमत नहीं थे। पुरंदरे ने कहा, ‘‘सावरकर की हिन्दुत्व संबंधी पुस्तकें आरएसएस के पवित्र ग्रन्थ हैं। हिन्दुत्व के बारे में उनकी धारणा कुछ स्तरों पर आरएसएस से मेल खाती है किंतु उन्होंने ऐसी बातें नहीं कहीं हैं कि महाभारत में परमाणु अस्त्र थे। वह वैज्ञानिक विचार रखते थे।’’
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