नई दिल्ली/ प्रभाकर मणि तिवारी। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर अक्सर गलत वजहों से सुर्खियों में रहा है, लेकिन यह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इस छोटे-से पर्वतीय प्रदेश में कई बेमिसाल चीजें भी हैं। इनमें से पहले नम्बर पर है राजधानी इंफाल स्थित इमा मार्केट।
स्थानीय मैतेई भाषा में इमा का मतलब मां होता है। इसलिए इसे मदर्स मार्केट भी कहा जाता है। इस बाजार में चार हजार से ज्यादा महिलाएं दैनिक जरूरत की हर चीजों का स्टाल लगाती हैं. यह एशिया में महिलाओं की ओर से संचालित सबसे बड़ा बाजार है।
दिलचस्प बात यह है कि इस बाजार में सिर्फ विवाहित महिलाएं ही दुकान चला सकती हैं। राज्य के तमाम प्रतिकूल हालात के बावजूद यह बाजार करीब पांच सौ वर्षों से महिला सशक्तीकरण की अनूठी मिसाल बन चुका है।
इंफाल के बीचों- बीच बना इमा कैथल या महिला बाजार की स्थापना कब हुई, इसका कोई ठोस प्रमाणिक इतिहास तो नहीं मिलता, लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह करीब पांच सौ वर्ष पुराना है।
सरकारी फाइलों में जिक्र मिलता है कि इसकी स्थापना मदर्स मार्केट वर्ष 1533 में की गई थी। इसका पहला जिक्र मणिपुर के गजेटियर में 1786 में महिला बाजार के रूप में हुआ था। इस बाजार में पुरुषों की किसी तरह की कोई भूमिका नहीं होती। वह महज खरीददार के तौर पर यहां आ सकते हैं। यहां कुछ ऐसी औरतों को दुकान के लिए जगह आवंटित की गई है, जिनके पति उग्रवादी हिंसा का शिकार हो गए हैं।
अपने लंबे जीवनकाल में इस बाजार ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वर्ष 1891 में ब्रिटिश काउंसिल प्रशासन ने जब मणिपुर पर आर्थिक और राजनीतिक सुधार लगाए तो बाजार का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। तब अंग्रेज मनमाने तरीके से बगैर स्थानीय जरूरतों को पूरा किए बिना यहां पैदा होने वाले अनाज को बाहर बेचने लगे। इससे यहां लोगों के भूखों मरने की नौबत आ गई। जिसके बाद यहां की महिलाओं की अगुवाई में लंबी लड़ाई लड़ी गई।
खास हैं इस बाजार के नियम
यह बाजार तीन भागों में पुराना बाजार, लक्ष्मी बाजार और नया बाजार नाम से बड़े-बड़े कॉम्प्लेक्स में विभाजित है। इन तीनों में अलग-अलग चीजें मिलती हैं। किसी में सब्जी, मछली और फल की बिक्री होती है तो किसी में परंपरागत कपड़े और अन्य घरेलू सामान। इन तीनों भवनों को मिलाकर बना है इमा कैथेल।
इस बाजार के कुछ अलिखित नियम हैं जो इसे खास बनाते हैं। मिसाल के तौर पर यहां अगर कोई कपड़ा बेच रहा है तो वह कपड़ा ही बेचेगा, सब्जी या कोई और चीज नहीं बेच सकता। इस बाजार का अपना एक सिस्टम बना हुआ है। बाजार के भीतर दुकान लगाने के लिए लाइसेंस होना जरूरी है जो इंफाल नगर पालिका जारी करती है। यह लाइसेंस पीढ़ी दर पीढ़ी उसी महिला के परिवार के पास रहता है।
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