नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कोरोना वायरस महामारी ने जहां दुनियाभर में आर्थिक संकट खड़ा कर दिया तो वहीं पश्चिमी एशिया की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह मंदी का साल है। अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (IMF) की सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।
रिपोर्ट के अनुसार हालांकि पश्चिमी एशिया की अधिकतर अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर लौट आने की उम्मीद है लेकिन लेबनान और ओमान ऐसे देश हैं जिनमें हालत अगले साल ही सुधरने का अनुमान है।
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आईएमएफ का चालू साल में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.4 प्रतिशत संकुचन होने का अनुमान है। उसका कहना है कि यह 1930 की महामंदी के बाद की सबसे बड़ी सालाना गिरावट है। पश्चिमी एशिया के देश महामारी के दुनियाभर में फैलने से पहले ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, धीमी आॢथक वृद्धि और बढ़ती बेरोजगारी का सामना कर रहे थे। महामारी ने इसमें ‘कोढ़ में खाज’ का काम किया।
आईएमएफ का अनुमान है कि लेबनान की अर्थव्यवस्था में क्षेत्र की सबसे तेज यानी 25 प्रतिशत की गिरावट होगी। महामारी से पहले सरकार के खिलाफ गुस्से की लहर से जूझ रहे लेबनान को इसने और रसातल में पहुंचाने का काम किया।
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देश में बढ़ती गरीबी, लगातार होती बिजली कटौती, विदेशी मुद्रा की कमी, सरकारी भ्रष्टाचार और अति मुद्रास्फीति के चलते में लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे। लेबनान की मुद्रा पिछले साल के अंत के मुकाबले 70 प्रतिशत गिर गयी है। इसके चलते लोगों को आम वस्तुएं खरीदने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।
इसके अलावा राजधानी बेरूत में एक बंदरगाह पर अगस्त में हुए विस्फोट में 180 लोगों की जान चली गयी जबकि 6,000 से अधिक लोग घायल हुए। वहीं बंदरगाह के आसपास का इलाका पूरी तरह तबाह हो गया। इसने हजारों लोगों को बेघर किया।
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पश्चिमी एशिया में यूरोप और अमेरिका के मुकाबले महामारी के संक्रमण में आने वाले और मरने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही। लेकिन सभी देशों को अभी भी इस पर काबू पाने में संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।
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