नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। देश की टॉप 4 स्टील कम्पनियों (Steel Company) के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई। इन कम्पनियों का संयुक्त रूप से उत्पादन चालू वित्त वर्ष की अक्तूबर-दिसम्बर तिमाही में सालाना आधार पर 6 प्रतिशत बढ़कर 1.495 करोड़ टन रहा। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में जे.एस.पी.एल., जे.एस.डब्ल्यू. एनर्जी, सेल और टाटा स्टील इंडिया का कुल इस्पात उत्पादन 1.409 करोड़ टन था।
कम्पनियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार आलोच्य तिमाही में जे.एस.डब्ल्यू. स्टील को छोड़कर कुल बिक्री 2.25 प्रतिशत बढ़कर 1.088 करोड़ टन रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 1.064 करोड़ टन थी। इन 4 कम्पनियों में टाटा स्टील इंडिया का उत्पादन सर्वाधिक रहा। उसका देश में कुल उत्पादन आलोच्य तिमाही में 3 प्रतिशत बढ़कर 46 लाख टन रहा।
इससे पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में कम्पनी का उत्पादन 44.7 लाख टन था। टाटा स्टील की भारतीय परिचालन से कुल बिक्री आलोच्य तिमाही में 4 प्रतिशत घटकर 46.6 लाख टन रही जो एक साल पहले 48.5 लाख टन थी।
सेल का उत्पादन 9 प्रतिशत बढ़ा सार्वजनिक क्षेत्र की भारत इस्पात प्राधिकरण लि. (सेल) का उत्पादन 9 प्रतिशत बढ़कर 43.7 लाख टन रहा। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 40 लाख टन था। कम्पनी की कुल बिक्री आलोच्य तिमाही में 43.2 लाख टन रही जो पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की अक्तूबर-दिसम्बर तिमाही में 40.9 लाख टन के मुकाबले करीब 6 प्रतिशत अधिक है। जे.एस.डब्ल्यू. स्टील का उत्पादन आलोच्य अवधि में 2 प्रतिशत बढ़कर 40.8 लाख टन रहा जो एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में 40.2 लाख टन था। कम्पनी ने बिक्री का आंकड़ा नहीं दिया।
जे.एस.पी.एल. का उत्पादन 18 प्रतिशत बढ़ा जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जे.एस.पी.एल.) का उत्पादन 18 प्रतिशत बढ़कर 19 लाख टन रहा जो एक साल पहले 2019-20 की इसी तीसरी तिमाही में 16 लाख टन था। कम्पनी की बिक्री आलोच्य तिमाही में 12 प्रतिशत बढ़कर 19 लाख टन रही। जे.एस.पी.एल., जे.एस.डब्ल्यू. स्टील, सेल और टाटा स्टील का संयुक्त रूप से देश में सालाना कुल इस्पात उत्पादन में करीब 45 प्रतिशत का योगदान है।
बेहतर गुणवत्ता और मात्रा में इन वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता नहीं बता दें कि इस्पात क्षेत्र ने आगामी बजट में एंथ्रेसाइट कोयला, मेटालर्जिकल कोक, कोकिंग कोयला और ग्रेफाइट इलैक्ट्रॉड जैसे कच्चे माल पर मूल सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) में कटौती की मांग की है। उद्योग मंडल सी.आई.आई. ने इस्पात क्षेत्र को लेकर आगामी बजट के लिए दी गई सिफारिशों में कहा कि बेहतर गुणवत्ता और मात्रा में इन वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने से इस्पात उद्योग की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है।
उद्योग जगत ने एंथ्रेसाइट कोयला पर मौजूदा मूल सीमा शुल्क 2.5 प्रतिशत को घटाकर शून्य करने का सुझाव दिया है। उसने कहा कि देश में अच्छी गुणवत्ता में इन उत्पादों की उपलब्धता घट रही है। ऐसे में इस्पात उद्योग को नियमित आधार पर इन वस्तुओं के आयात पर निर्भर होना पड़ सकता है।
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