Sunday, Oct 01, 2023
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increase punishment in sedition cases to seven years: law commission recommendation

राजद्रोह के मामलों में सजा बढ़ाकर सात वर्ष की जाए : विधि आयोग की सिफारिश

  • Updated on 6/2/2023

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारतीय विधि आयोग ने राजद्रोह के मामलों में कारावास की सजा को कम से कम तीन वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष करने की सिफारिश की है। आयोग ने तर्क दिया है कि इससे अदालतों को किए गए कृत्य के स्तर और गंभीरता के अनुरूप सजा देने की अधिक गुंजाइश रहेगी।

‘राजद्रोह कानून के उपयोग' पर अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा कि उसने अपनी पिछली रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह कानून) के लिए सजा को ‘‘बहुत अजीब'' करार दिया था क्योंकि इसमें आजीवन कारावास या तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान है, लेकिन इसके बीच में कुछ भी नहीं है। राजद्रोह कानून के तहत न्यूनतम सजा के अंतर्गत जुर्माने का प्रावधान है।

आयोग ने कहा, ‘‘आईपीसी के अध्याय-6 में अपराधों के लिए दिए गए वाक्यों की तुलना से पता चलता है कि धारा 124ए के लिए निर्धारित दंड में स्पष्ट असमानता है।'' आईपीसी का अध्याय-6 राज्य के खिलाफ किए गए अपराधों से निपटने से संबंधित है। रिपोर्ट में अध्याय-6 में राजद्रोह के अपराध के लिए सजा के प्रावधान में बदलाव की सिफारिश की गई है ताकि अदालतों को किए गए कृत्य के स्तर और गंभीरता के अनुसार सजा देने की अधिक गुंजाइश रहेगी।

आयोग ने धारा 124 ए के वाक्यांश में बदलाव कर इसमें ''हिंसा भड़काने या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने की प्रवृत्ति'' शब्द जोड़ने को कहा है। विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने हाल में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को रिपोर्ट सौंपी थी। 

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