नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत ने वीरवार को घोषणा की है कि चीन की राजधानी में होने वाले 2022 शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में उसके शीर्ष राजनयिक शामिल नहीं होंगे। साथ ही नई दिल्ली ने इस समारोह में गलवान घाटी संघर्ष में शामिल एक सैन्य कमांडर को ओलंपिक मशाल वाहक बनाए जाने को ‘अफसोसनाक’ बताया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन ने ओलंपिक जैसे आयोजन का राजनीतिकरण करना चुना और ‘हमारे बीजिंग में भारतीय दूतावास के प्रभारी शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे।’ भारतीय दूतावास के प्रभारी वहां के वरिष्ठतम राजनयिक हैं क्योंकि अगले राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने अभी पदभार ग्रहण नहीं किया है।
China has politicised Winter Olympics, charge d'affaires in Beijing not to attend opening, closing ceremonies, says India Read @ANI Story | https://t.co/IBQlHbwCCC#WinterOlympics #India pic.twitter.com/3nzxJZI45g — ANI Digital (@ani_digital) February 3, 2022
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चीन की जन मुक्ति सेना के गलवान घाटी के कमांडर को शीतकालीन ओलंपिक मशाल देकर चीन द्वारा सम्मानित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने इस मुद्दे पर रिपोर्ट देखी है। यह अफसोस की बात है कि चीन ने ओलंपिक जैसे आयोजन का राजनीतिकरण करना चुना।’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने सैन्य कमांडर को इस तरह से सम्मानित करने के चीन के कदम को अफसोसजनक करार दिया। शुक्रवार को 24वें शीतकालीन ओलंपिक समारोह का उद्घाटन होगा। चीनी ग्लोबल टाइम्स समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, जन मुक्ति सेना के रेजिमेंट कमांडर क्वी फाबाओ 15 जून 2020 को गलवान घाटी में भारत के साथ संघर्ष में शामिल रहे थे और चीन ने ओलंपिक समारोह में उन्हें मशाल वाहक के रूप में चुना।
इस संघर्ष में फाबाओ को सिर में गंभीर चोटें लगी थी और वह बुधवार को टार्च रिले में 1200 मशाल वाहकों में शामिल थे। भारत की यह कदम ऐसे समय में आया है जब दो महीने पहले उसने रूस-भारत-चीन त्रिस्तरीय ढांचे के तहत विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन द्वारा बीजिंग ओलंपिक की मेजबानी का समर्थन किया था।
गौरतलब है कि 15 जून 2020 को गलवान घाटी में संघर्ष के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद बढ़ गया था। इस संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। पिछले वर्ष फरवरी में चीन ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि उसके पांच सैन्य अधिकारी एवं जवान शहीद हुए थे।
गलवान भिड़ंत के दौरान नदी में बह गए थे 38 चीनी सैनिक ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार में यह दावा किया है कि गलवान घाटी में 2020 में हुई झड़प में चीन को उससे कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था, जितना कि उसने दावा किया था। साथ ही, कई 38 चीनी सैनिक तेज धारा वाली नदी पार करते हुए डूब गए थे। इस रिपोर्ट के बाद चीन का झूठ एक बार फिर उजागर हो गया है। चीन ने गलवान झड़प में सिर्फ 4 सैनिकों की मौत की बात कबूली थी।
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