नई दिल्ली/टीम डिजिटल। देश की सैन्य ताकत में आज बहुत बड़ा इजाफा हुआ है। देश में आज सबसे खतरनाक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लैंड अटैक वर्जन का सफल परीक्षण किया गया है। इसका परीक्षण 24 नवंबर यानी आज सुबह 10 बजे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के निकट एक अज्ञात द्वीप पर किया गया है।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के परीक्षण के लिए इस द्वीप समूह के एक दूसरे वीरान द्वीप पर लगाए गए टारगेट को ध्वस्त कर दिया। इस मिसाइल ने तय समय में अपने टारगेट को ध्वस्त कर दिया। इस सफल परीक्षण के बाद भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को सोशल मीडिया पर बधाइयां मिलने लगी हैं।
India successfully test-fires land attack version of BrahMos supersonic cruise missile Read @ANI Story | https://t.co/XPh5ivf0YO pic.twitter.com/PfJxCUgkMh — ANI Digital (@ani_digital) November 24, 2020
India successfully test-fires land attack version of BrahMos supersonic cruise missile Read @ANI Story | https://t.co/XPh5ivf0YO pic.twitter.com/PfJxCUgkMh
आज हुए इस सफल परीक्षण से भारत को तेजी से मार करने वाली और बढ़ी हुई रेंज से मारने वाली मिसाइल मिली हैं। इस मिसाइल में इम्प्रूव किया गया था जिसके बाद ये जमीन से जमीन पर मार करने वाली इस मिसाइल की रेंज को बढ़ाकर 400 किलोमीटर किया गया है।
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ये है इसकी खासियत इस ब्रह्मोस मिसाइल 28 फीट लंबी और 3000 किलोग्राम वजनी है। मिसाइल 200 किलोग्राम के पारंपरिक और परमाणु हथियार लेकर जाने में सक्षम है। यह मिसाइल 300 किलोमीटर से 800 किलोमीटर तक की दूरी पर बैठे दुश्मन पर अचूक निशाना लगाने में खासी तैयार है। इसकी गति इसकी सबसे बड़ी खासियत है जो इसे सबसे ज्यादा घातक बनाती है। यह 4300 किलोमीटर प्रतिघंटा यानी 1.20 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से हमला करने में सक्षम है। इसके छूटने के बाद दुश्मन को हमला करने का मौका ही नहीं मिलेगा।
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2019 में हुआ था परीक्षण इससे पहले सितंबर 2019 में इसी मिसाइल के 290 किमी तक मार करने की क्षमता वाले वर्जन का डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन डीआरडीओ ने सफल परीक्षण किया था। इस नए वर्जन का डीआरडीओ ने परीक्षण पीजे-10 प्रोजेक्ट के तहत किया गया है। इसे देश में बने बूस्टर का इस्तेमाल कर लॉन्च किया गया है। ये मिसाइल ब्रह्मोस के एक्सटेंडेड वर्जन का सफल परीक्षण है। ये नया वर्जन भी पहले वाले ब्रह्मोस मिसाइल नौसेना और वायुसेना में पहले से ही शामिल है।
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2017 में हुआ था इसके पहले वर्जन का परीक्षण वहीं इस मिसाइल का पहला वर्जन जो जमीन पर मार करने में सक्षम थी उसका पहला ही परिक्षण हो चुका है। पहली मिसाइल का परीक्षण 11 मार्च 2017 को किया गया था। ये जमीन पर लंबी दूरी तक मार कर सकती है। ये मिसाइल 490 किमी दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। डीआरडीओ ने सितंबर में 290 किमी तक दूरी वार करने वाली ब्रह्मोस का ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज में परीक्षण किया गया था।
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