नई दिल्ली/अनामिका सिंह। शायद किसी प्रकार के राजनीतिक दबाव में आकर नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री औली इतनी बढ़ी बात कह रहे हैं कि राम का जन्म नेपाल में हुआ था। गरिमामयी पद पर बैठने के बाद बिना साक्ष्य और पुरातात्विक आधार पर इस प्रकार की बात कहना हास्यास्पद हो जाता है, क्योंकि राम जन्म के सभी साक्ष्य अयोध्या में मौजूद हैं और उत्खन्न के दौरान लिखित रूप में प्राप्त हुए हैं। उक्त बातें अयोध्या का उत्खन्न करने वाले पुरातत्वविद् और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक डॉ‐ बीआर मणि ने कहीं।
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डॉ‐ मणि ने कहा ये डॉ‐ मणि ने कहा कि वर्तमान अयोध्या के लिए हमारे पास सभी साक्ष्य मौजूद हैं। यदि ऋगवेद को लें जोकि विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं तो सरयू नदी के किनारे अयोध्या या साकेत बसा हुआ था। जब हम 800-900 ईसापूर्व पहुंचते हैं तो उसमें कौशल महाजनपद का नाम आता है, जिसकी राजधानी पहले अयोध्या थी बाद में श्रावस्ती हो गई। कौशल का कोई भी हिस्सा नेपाल में नहीं है तो अयोध्या का नेपाल में होने का कोई मतलब नहीं है। इसका एक वैज्ञानिक पक्ष भी है भूगर्भ शास्त्र के अनुसार टी2 टेरेस पर अयोध्या बसी हुई है और उसके जलमग्न होने के कोई संकेत नहीं मिलते। भगवान राम इक्ष्वाकु वंश के थे जिनके पूर्वज मनु माने जाते हैं।
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जलप्रलय के दौरान जब मनु ने नई सृष्टि की तो इक्ष्वाकु ने उनके वंश को आगे बढ़ाया और करीब 65 पीढ़ियों तक इक्ष्वाकु वंश के राजाओं ने राज किया। विष्णुहरि मंदिर में उत्खन्न के दौरान जो शिलालेख मिले उसके पांचवे श्लोक में रामजन्मभूमि का उल्लेख मिला है। जबकि 19वें श्लोक में साकेत मंडल का उल्लेख है। ये अभिलेख 12वीं शताब्दी का है, एक मध्यकालीन पुस्तक अयोध्या महातम में अयोध्या के विभिन्न स्थानों का उल्लेख मिलता है जो आज भी चिन्हित हैं। इससे पहले बुद्ध के नेपाल के होने की बात कही जा रही थी जोकि गलत साबित हुई थी।
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राम-जानकी मार्ग से राम गए थे सीता विवाह के लिए डॉ‐ मणि कहते हैं कि राजाओं द्वारा दूर-दूर के राज्यों में विवाह करने के कई प्रमाण मिलते हैं। पुराणों के आधार पर राम-जानकी मार्ग को सबसे कम दूरी का रास्ता बताया जाता है जिसके द्वारा राम अयोध्या से सीता से विवाह करने के लिए वैदेहराज के यहां सीतामढ़ी पहुंचे थे। हालांकि सीता का जन्म भी नेपाल में नहीं हुआ लेकिन सीतामढ़ी का कुछ हिस्सा नेपाल में होने की वजह से भावनावश स्वीकृति दे दी जाती है।
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