नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि मुद्रास्फीति का प्रबंधन केवल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति पर नहीं छोड़ा जा सकता। सीतारमण ने आॢथक शोध संस्थान इंडिया काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) की तरफ से आयोजित सम्मेलन में कहा कि महंगाई बढऩे के ज्यादातर कारण मौद्रिक नीति के दायरे से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में करने के लिए राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति दोनों को मिलकर काम करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट EWS के लिए 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं से मुद्दे तय किए
वित्त मंत्री के अनुसार, मुद्रास्फीति प्रबंधन को केवल मौद्रिक नीति पर नहीं छोड़ा जा सकता है। यह कई देशों में प्रभावी साबित नहीं हुआ है। सीतारमण ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक को थोड़ा साथ चलना होगा। शायद उतना नहीं जितना पश्चिमी देशों में केंद्रीय बैंकों को चलना होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं रिजर्व बैंक को कोई आगे की दिशा नहीं दे रही हूं लेकिन यह सच है कि भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने का समाधान, एक ऐसा अभ्यास है जहां मौद्रिक नीति के साथ-साथ राजकोषीय नीति को भी काम करना होता है। इसके एक हिस्सा मुद्रास्फीति को भी संभाल रहा है।’’
सरकारी स्कूलों को बंद करना देश के लिए ‘बेहद खतरनाक’ : केजरीवाल
उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति को नियंत्रण में करने के उपाय के तहत देश ने पिछले कुछ महीनों में रूस से कच्चे तेल के आयात को बढ़ाकर 12 से 13 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले लगभग दो प्रतिशत था।’’ उल्लेखनीय है कि यूक्रेन के साथ युद्ध के चलते पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आॢथक प्रतिबंध लगाए हैं। ऐसे में भारत समेत कई देशों ने रियायती कीमतों पर कच्चा तेल और गैस खरीदने के लिए रूस के साथ द्विपक्षीय समझौता किया है। सीतारमण ने कहा, ‘‘रूस से कच्चे तेल का आयात सुनिश्चित करने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति को श्रेय देती हूं। हमने सभी देशों के साथ अपने संबंध बनाए रखे और प्रतिबंधों के बीच रूस से कच्चे तेल प्राप्त करने का प्रबंधन किया। यह भी मुद्रास्फीति को नियंत्रण में करने के उपायों का हिस्सा है।’’
कर्नाटक PSI भर्ती घोटाला: ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद बढ़ीं BJP विधायक की मुश्किलें
उन्होंने कहा, ‘‘अब भी कई देश (जापान और इटली सहित) रूस से कच्चा तेल और गैस प्राप्त करने के लिए अपना रास्ता खोज रहे हैं।’’ गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गयी हैं जिससे वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ी है। इससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भर देश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। भारत भी अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए तेल उत्पादक देशों पर अधिक निर्भर है। देश कुल ऊर्जा जरूरतों का 80 से 85 प्रतिशत विदेशों से आयात करता है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और कच्चे तेल आयातक है।
RSS कार्यालय को CISF की सुरक्षा दिये जाने पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा
Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।
रिलायंस की गैस के दाम 18 फीसदी घटे, CNG, PNG के लिए सप्लाई की कीमत...
PM मोदी ने उठाया झाड़ू, लोगों ने लिया स्वच्छता अभियान में हिस्सा
LOC पर घुसपैठ की कोशिश नाकाम, सेना ने मार गिराए दो आतंकवादी
आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने 25 करोड़ से अधिक लोगों की जिंदगी बदल दी:...
भारत- कनाडा तनाव के बीच जयशंकर ने कहा- एक- दूसरे से बात करनी होगी
Asian Games 2023: सरबजोत और दिव्या ने शूटिंग मिश्रित टीम स्पर्धा में...
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 से ज्यादा पदाधिकारी कांग्रेस में...
रमेश बिधूड़ी को टोंक का प्रभार: मुस्लिम ध्रुविकरण या पायलट के गढ़ में...
विदेशों से धन भेजने को सुगम बनाने के लिए कई देशों से बातचीतः RBI...
इस्कॉन ने मेनका गांधी को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा