नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने देश में प्रसारण सेवाओं को नियंत्रित करने के लिये एक स्वतंत्र संस्था की स्थापना हेतु दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से सुनवाई करते हुये इस जनहित याचिका पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ ही न्यूज ब्राडकाटर्स एसोसिएशन, न्यूज ब्राडकासिंटग मानक प्राधिकरण और भारतीय प्रेस परिषद को भी नोटिस जारी किये । यह जनहित याचिका अधिवक्ता रीपक कसल ने दायर की है।
4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को दिए निर्देश
याचिका में कहा गया है कि ‘सनसनीखेज रिपोर्टिंग’ और संवेदनशील मुद्दों पर टीवी न्यूज चैनलों पर होने वाली चर्चा पर निगाह रखने के लिये देश में भारत का प्रसारण नियामक प्राधिकरण नाम से एक स्वतंत्र संस्था की स्थापना की जानी चाहिए। याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिका संविधान में प्रदत्त गरिमा के साथ जीने के अधिकार की रक्षा और संरक्षा के लिये न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करता है जिसके ‘प्रेस’ होने के दावे के साथ अनियंत्रित इलेक्ट्रानिक चैनलों ने हत्या कर दी है।’’याचिकाकर्ता ने अपने दावे के समर्थन में कुछ न्यूज चैनलों की रिपोर्टिंग का भी जिक्र किया है।
दिल्ली में यौन उत्पीड़न की शिकार बच्ची की हालत नाजुक, फिर होगी सर्जरी
याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) में प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार किसी व्यक्ति, राजनीतिक दल या धार्मिक संगठन की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं देता है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 19(2) का जिक्र करते हुये कहा गया है कि बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार असीमित नहीं है और इस पर कुछ प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं। याचिका के अनुसार अनुच्छेद 19 (2) किसी दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला कोई बयान देने से दूसरे को रोकता है।
याचिका में कहा गया है कि संविधान दूसरों को अपराध के लिये उकसाने वाले बयान देने से भी व्यक्ति को रोकता है। भारतीय कानून के तहत बोलने की आजादी किसी को, प्रेस को भी नहीं, अपने विचारों को खुलकर अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता नहीं देता है। याचिका में कहा गया है कि कुछ इलेक्ट्रानिक चैनल समाचार चैनल होने का दावा करते हैं लेकिन वे देश के विभिन्न समुदायों के बीच नकारात्मकता और वैमनस्यता फैलाने में लगे रहते हैं। इसी तरह कुछ चैनलों ने एक समुदाय को निशाना बना रखा है और वे एक समुदाय को दूसरे के प्रति उकसाते हैं।
प्रशांत भूषण ने आदणी कंपनी केस और मुर्मू को CAG बनाने पर उठाए सवाल
याचिका के अनुसार स्व:नियंत्रित प्रसारण चैनलों द्ववारा पत्रकारिता के नाम इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियों के कारण ही भारत 2019 में विश्व प्रेस की आजादी के मामले में 180 देशों में से 138वें स्थान से गिर कर 140वें स्थान पर पहुंच गया है। याचिका में न्याय के प्रशासन में मीडिया का हस्तक्षेप रोकने और ‘मीडिया ट्रायल’ रोकने के लिये निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
अडाणी मुद्दे पर ‘जवाब नहीं देने' के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर विपक्षी...
अडानी का नाम लिए बगैर PM मोदी ने कविताओं के जरिए राहुल और विपक्ष पर...
क्या ‘अच्छे दिन' आ गए और फिर ‘अमृतकाल' शुरू हो गया : तृणमूल...
अडाणी को हवाई अड्डे देने के खिलाफ नीति आयोग की अनुशंसाओं को नजरअंदाज...
पीएम मोदी के भाषण के बाद अधीर रंजन चौधरी बोले- राहुल गांधी का तीर सही...
मोरबी पुल हादसा : ओरेवा ग्रुप के MD जयसुख पटेल को न्यायिक हिरासत में...
चुनाव आयोग के फैसले से पहले विधायकों की अयोग्यता पर कोर्ट का फैसला आए...
राहुल गांधी बोले - पीएम मोदी के भाषण में सच्चाई नहीं, अगर अडाणी मित्र...
फ्रांस की टोटल एनर्जीज ने अडाणी समूह के साथ हाइड्रोजन साझेदारी रोकी
MCD महापौर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल सक्सेना से मांगा...