नई दिल्ली/टीम डिजिटल। देश में पिछले बीस सालों में स्कूलों से बड़ी संख्या में बच्चे पास होकर निकल रहे हैं, लेकिन हमारे विश्वविद्यालयों के पास उन्हें उच्च शिक्षा देने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इसलिए उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालयों के विस्तार की जरूरत है क्योंकि संपूर्ण शिक्षा प्रणाली अब समय की मांग है।
उक्त बातें गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित नॉर्थ जोन वीसी मीट 2020-21 में दो दिवसीय वर्चुअल उपकुलपति संवाद कॉन्फ्रेंस के समापन समारोह के मुख्य अतिथि व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने कहीं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश में आजादी के बाद शिक्षा पर कार्य हुए, लेकिन उनका लाभ सिर्फ 5 प्रतिशत विद्यार्थियों को ही मिला, जबकि शेष 95 प्रतिशत बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाई।
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95 प्रतिशत बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित सरकारों की नीतियां और प्राथमिकताएं चाहे जो भी रही हों लेकिन आउटकम पर नजर डालें तो यही दिखेगा कि 95 प्रतिशत बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रह गए। इसलिए आज यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हम शिक्षा का एक न्यूनतम मानदंड जरूर तय करें।
नई शिक्षा नीति की सलाह पर बने शिक्षा मंत्रालय का स्वागत करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति ने यह मान लिया कि शिक्षा का काम केवल मानव को संसाधन मात्र बनाना नही है। उन्होंने कहा कि अब तक भारत का शिक्षा मॉडल बच्चों को एक संसाधन के रूप में ढाल रहा था, उन्हें टूल के रूप में तैयार कर रहा था, जबकि शिक्षा का असली उद्देश्य बच्चों को एक अच्छा मानव और नागरिक बनाना है संसाधन नही।
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‘ब्रेन-ड्रेन’ रोकने में हम विफल- सिसोदिया उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत से ‘ब्रेन-ड्रेन’ हो रहा है। हम भारत की प्रतिभाओं को विदेशी कंपनियों को दान दे रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के देश विकासशील देशों की प्रतिभाओं को ढूंढकर अपने देशों में ले जाते हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि हमारे विद्यार्थी उन देशों की ओर क्यों आकर्षित हो रहे हैं? हमारे विश्वविद्यालय विद्यार्थियों की प्रतिभा निखारने में तो कामयाब हो रहे है, पर राष्ट्र निर्माण में उन प्रतिभाओं को शामिल करने में विफल रहे हैं।
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