Thursday, Jun 01, 2023
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is delhi a city of rioters poison is poison around here

क्या दिल्ली दंगाईयों का शहर है... चारों तरफ यहां जहर ही जहर है?

  • Updated on 2/28/2020

नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। जी हां, अब कोई अगर-मगर वाली बात नहीं रही। यह सौ फीसदी सच है। जिसे न तो बाहुबली पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Sah) नकार सकते हैं और न ही बड़बोले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल इनकार कर सकते हैं। दिल्ली में उस समय दंगा हुआ जब विश्व के घोषित महाशक्ति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने 2 दिवसीय भारत यात्रा पर आए हुए थे। लेकिन जब वे अहमदाबाद से वाया आगरा दिल्ली पहुंचे तब तक दिल्ली लहूलहुान हो चुकी थी। जिस पर पीएम मोदी ने भरसक पर्दा डालने की असाधाराण कोशिश की।

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जब राष्ट्रपति ट्रंप थे राजधानी में सिसक रही थी दिल्ली
जिसका असर हुआ कि जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दिल्ली यात्रा का आनंद ले रहे थे तो पीएम मोदी अपने चेहरे की शिकन को छुपाकर हंसने के लिये मजबूर हो रहे थे। यह कैसा शहर है जहां पग- पग पर जहर घुला हुआ है लेकिन उसके लिये हमारे देश के सभी नेतागण एक- दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप में जुटे हुए है। आप राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कहां से चिरनीद्रा से उठाकर कहेंगे कि बापू उठो-उठो राजघाट से जरा दिल्ली के दंगाई इलाकों का दौरा करके शांति बहाल करने के लिये फिर से एक बार धरने पर बैठ जाओ।

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देश के नेताओं से दिल्ली को हुई निराशा 
बहुत आश्चर्य होता है कि वोट मांगने आप दिल्ली की गली-गली में जा सकते है लेकिन जब शहर जल रहा है, रोड पर पत्थरों का जमावड़ा हो, गाड़ियां फूंकी जा रही हो, इंसानियत को तार- तार कर रहे लोग हिंदू- मुसलमान करते- करते अपने ही पड़ोस के रहमान और श्याम को घर से घसीटकर उन्मादी भीड़ खून की नदियां बहाती है तो आप सभी गहरे मौन में चले जाते है। ऐसे में हमारे देश के नेताओं की फौज कैसे उतरेगी- उनके मूल्यवान जीवन की सुरक्षा का मामला है। बात भी सही है। तो इसलिये पीएम मोदी ने अपने Trobleshooter के तौर पर भारत के कथित जेम्स बांड NSA अजित डोभाल को काले चश्मे में दंगाई दिल्ली की गलियों में भेजा ताकि लोगों को भरोसा दिया जा सके कि आप सुरक्षित हैं।

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जिम्मेदारी अब तक क्यों नहीं हुई है तय
सवाल उठता है कि अब तक किसी की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की गई है कि मंत्रालय से लेकर दिल्ली पुलिस और खुफिया विभाग में कोई ऐसा बकरा नहीं मिला जिसकी खबर देश और दिल्ली की जनता ले सकें। क्यों देश का खुफिया तंत्र इतना कमजोर हो चुका है जब देश के सबसे महत्वपूर्ण पद पर कथित ताकतवर पीएम मोदी और अमित शाह बैठे हुए हैं। साथ ही NSA अजित डोभाल जैसे व्यक्ति जो अपनी जिंदगी में कई अनोखे कारनामे के लिये मशहूर हैं उन्होंने खुफिया विभाग को चुस्त-दुरुस्त इतने दिनों में क्यों नहीं किया? फिर देश को मोदी- शाह- डोभाल का क्या लाभ मिला जिसे बीजेपी बड़े गर्व से देश और दिल्ली की जनता को कह सकती है कि हमारे पास अद्भुत नेतृत्व है।

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मोदी को शासन में आए हुए 6 साल

अब तो पीएम नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता में आए 6 साल से ज्यादा होने जा रहा है तब उनके नाक के नीचे इस तरह के दंगे इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है तो उनसे फिर तो देश पूछेगा कि जागते रहो कहने वाले चौकीदार पीएम कहां है?

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