नई दिल्ली/टीम डिजिटल। शिवसेना ने बिल्कीस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चुप्पी पर रविवार को सवाल उठाया तथा सवाल किया कि क्या बलात्कारियों का सत्कार करना‘‘हिंदू संस्कृति‘’है। यह टिप्पणी शिवसेना के मुखपत्र‘सामना’में प्रकाशित स्तंभ ‘रोखठोक’ में की गई है। इसे मराठी दैनिक के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने नहीं, बल्कि कड़कनाथ मुंबईकर ने लिखा है। उल्लेखनीय है कि राउत धन शोधन के आरोपों में अभी जेल में हैं।
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गुजरात के गोधरा में 2002 में एक ट्रेन को आग के हवाले किये जाने के बाद हुए दंगों के दौरान बिल्कीस बानो से सामूहिक बलात्कार किया गया था। इसके अलावा उनकी तीन साल की बच्ची समेत परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। अपने साथ हुए सामूहिक बलात्कार के समय बिल्कीस पांच महीने की गर्भवती थीं। मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत राज्य सरकार द्वारा रिहा करने की अनुमति दिये जाने के बाद 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था। वे 15 साल से अधिक समय से जेल में थे। कुछ खबरों में दावा किया गया है स्थानीय नेताओं ने रिहाई के बाद दोषियों का सत्कार किया।
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‘सामना’के आलेख में कहा गया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथनी और करनी में अंतर है। उन्होंने कहा, 'बिल्कीस मामले ने इस बात को सही साबित कर दिया है।' ‘सामना’में कहा गया है कि आश्चर्य की बात है कि दोषियों को उस वक्त रिहा किया गया, जब प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में महिला सशक्तिकरण की बात कही थी। आलेख में सवाल किया गया है कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चुप क्यों हैं? शिवसेना ने सवाल किया, Þक्या बलात्कारियों का सत्कार करना हिंदू संस्कृति है?'
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आलेख में कहा गया है कि सिर्फ इसलिए कि बिल्कीस बानो मुस्लिम हैं, उनके साथ हुए अपराध को माफ नहीं किया जा सकता। शिवसेना ने कहा, 'यह हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं है, बल्कि ङ्क्षहदुत्व की आत्मा और हमारी महान संस्कृति की प्रतिष्ठा का मामला है।' आलेख में कहा गया है, 'प्रधानमंत्री जब गुजरात का दौरा करें, तो उन्हें उनसे (बिल्कीस बानो) मिलना चाहिए और अपना समर्थन देना चाहिए।' देश भर के कई संगठनों ने बिल्कीस बानो मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को रिहा किए जाने का विरोध किया है।
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