नई दिल्ली। टीम डिजिटल। जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय अनुसंधान का नारा प्रधानमंत्री ने दिया है लेकिन ये नारा तभी सार्थक हो पाएगा जब महिलाएं इसमें बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाएं। इस अनुसंधान की सार्थकता महिलाओं से भी संभव है। उक्त बातें केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉन कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड आईसीएसएसआर व अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन के दौरान कहीं। इस मौके पर एबीआरएसएम के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद सिंघल, डीयू डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. बलराम सिंह पाणी, डीयू प्रोक्टर रजनी अब्बी, डीयू रजिस्ट्रार विकास गुप्ता व एनसीवेब की निदेशक प्रो. गीता भट्ट भी मौजूद रहीं।
कम नसीब होते हैं वे घर, जहां बेटियां नहीं होती : प्रो. योगेश सिंह पहले दिन कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित किया गया। सबसे पहले प्रो. गीता भट्ट ने एनसीवेब के अतीत, वर्तमान और भविष्य पर प्रकाश डाला। साथ ही एनसीवेब पर बनी एक चलचित्र का प्रदर्शन किया। वहीं डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने एनसीवेब के आगामी लक्ष्यों को इंगित करते हुए महिला सुरक्षा और महिला सम्मान तथा उनकी आत्मनिर्भरता की तरफ बल दिया। उन्होंने कहा कि कम नसीब होते हैं वे घर, जहां बेटिंया नहीं होती। डॉ विकास गुप्ता ने भारत के निर्माण में महिलाओं के योगदान पर विस्तृत व्याख्यान दिया। डॉ. कुसुमलता केडिया ने राष्ट्रभक्ति और राष्ट्र सेवा का आह्वाहन किया और भारतीय स्त्री शक्ति की भूमिका पर प्रकाश डाला।
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