नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में हुए जिला विकास परिषद इलेक्शन (District Development Council Election) के इस बार कई मायने निकाला जा रहे हैं। इस चुनाव रिजल्ट (Election Result) से जम्मू-कश्मीर का जो राजनीतिक परिदृश्य उभरता है उसे जानना जरूरी हो गया है। इस सिलसिले में कई सवाल और संदेश सामने आ रहे हैं। जिसमें चुनाव के नतीजों को अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर आंका जा रहा है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद इलेक्शन आठ चरणों में हुए है, इस चुनाव में लड़ाई सिर्फ सियासत तक सीमित नहीं है बल्की लड़ाई जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े मुद्दे की थी और बारूद, बम और गोली से दूर फ्री एंड फेयर इलेक्शन की थी। इस चुनाव में बीजेपी और जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों के बीच सीधी टक्कर थी।
डीडीसी चुनाव में गुपकार गठबंधन जिला विकास परिषद इलेक्शन में एक तरफ भारतीय जनता पार्टी तो दूसरी तरफ सात पार्टियों का गुपकार गठबंधन था, इस गठबंधन में नेशनल कॉन्फ़्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रैटिक पार्टी, पीपल्स कॉन्फ़्रेंस, सीपीआई-सीपीआईएम, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और जम्मू और कश्मीर पीपल्स मूवमेंट शामिल थीं। इसके अलावा कांग्रेस भी शुरुआत में इस गठबंधन के साथ शामिल थी, लेकिन बाद में उसने अलग होने का फैसले कियाई।
डीडीसी चुनाव में गुपकार गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। बता दें कि इस चुनाव में इस बार बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। जिसे लेकर बीजेपी का दावा है कि ये उम्मीदवार उसके साथ हैं।
बीजेपी को तीन सीटों पर जीत हासिल जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद इलेक्शन में पहली बार मुस्लिम बहुल इलाके में बीजेपी को तीन सीटों पर जीत हासिल हुई है। बीजेपी श्रीनगर, पुलवामा और बांदीपोरा में तीन सीटें जीती हैं। जो की एक बड़ा बदलाव देखा गया। जम्मू क्षेत्र में बीजेपी 10 में से 6 जिलों में बहुमत हासिल कर चुकी है। वहीं बीजेपी का दावा है कि अगर सिंगल पार्टी के तौर पर देखा जाए तो वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर यहां उभरी है।
दरअसल जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए खत्म होने के बाद पहली बार यहां चुनाव के परिणाम सामने आने पर पहला संदेश ये है कि जो पार्टियां 370 की बहाली तक किसी चुनाव में शिरकत न करने का दंभ भर रही थीं। जनता के सामने अपनी प्रसांगिकता साबित करने के लिए उन्हें भारतीय संविधान के दायरे में चुनाव में उतरना पड़ा।
उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी के लिए दिया ये बयान बता दें कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के नतीजों और रुझानों को बीजेपी और उसकी प्रॉक्सी राजनीतिक पार्टी के लिए आंख खोलने वाला बताया और कहा कि लोगों ने राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करने के फैसले को खारिज कर दिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर ने कहा कि नतीजे और रुझान गुपकर गठबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और वे उस दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं कि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने तथा इसे केंद्रशासित प्रदेश में बदलने की को लोगों ने स्वीकार नहीं किया है।
जम्मू कश्मीर और लद्दाख के रूप में केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित उमर ने कहा, अब अगर भाजपा और उसकी प्रॉक्सी राजनीतिक पार्टी लोकतंत्र में विश्वास करती है, जैसा कि उन्होंने कहा है, तो उन्हें तुरंत अपने फैसला वापस लेना चाहिए और इस क्षेत्र के लोगों के फैसले का सम्मान करना चाहिए। नेकां नेता ने कहा कि बीजेपी ने डीडीसी चुनावों में प्रचार के लिए कई केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं को यहां भेजा था। उन्होंने कहा, बीजेपी ने इन चुनावों को 2019 की अपनी नीति के लिए जनमत संग्रह में बदल दिया। मुझे उम्मीद है कि वे लोगों की इच्छा को समझ गए होंगे। केंद्र ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था और इसे जम्मू कश्मीर और लद्दाख के रूप में केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।
गुपकर के उम्मीदवार 71 सीटों पर आगे चल रही है और अब तक 25 सीटों पर जीत चुके हैं जबकि भाजपा 48 सीटों पर आगे चल रही है और उसने अब तक आठ सीटें जीती हैं। कांग्रेस 19 सीटों पर आगे चल रही है और उसने अब तक चार सीटों पर जीत हासिल की है। गुपकर जम्मू कश्मीर के सात राजनीतिक दलों का गठबंधन है जिसमें नेकां और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी शामिल हैं।
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