नई दिल्ली/पुष्पेंद्र मिश्र। मलेरिया के चलते विश्व भर में हर साल 2 लाख से अधिक बच्चों की जान जा रही है। अगर 2019 में जारी एक आंकड़े की माने तो हर दो मिनट में एक 0-5 वर्ष का बच्चा मलेरिया से अपनी जान गंवा रहा है। मलेरिया की इस वैश्विक चुनौती पर काम कर रहे जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी(जेएनयू) के स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसन के शोधार्थियों ने बड़ी सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने मलेरिया से ग्रसित बच्चों के लिए ऐसी मीठी कैंडी विकसित की है जो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मलेरिया होने पर उन्हें खिलाई जाएगी। यह कैंडी मलेरिया परजीवी के विकास को रोक देती है।
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स्वीट कैंडी का कोई साइड इफेक्ट नहीं, मलेरिया परजीवी का रोक देती है विकास : प्रो. शैलजा शोध पर जेएनयू प्रो. शैलजा सिंह ने बताया कि चीनी का विकल्प एरिथ्रिटोल जो मधुमेह रोगियों को दिया जाता है। इसी से हमने यह कैंडी विकसित की है। एरिथ्रिटोल एक कार्बनिक यौगिक है। इसे एंजाइम और किण्वन का उपयोग करके मक्के से बनाया जा सकता है। ये 4 कार्बन वाली चीनी होती है जो प्राकृतिक रूप से शैवाल, कवक और लाइकेन में पाई जाती है। उन्होंने कहा कि मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है। जो संक्रमित माजा एनॉफिलीज मच्छरों से शरीर में आता है।
पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बच्चों को वित्तीय सहायता देगी दिल्ली सरकार चूहों के 6 समूहों पर किया गया परीक्षण प्रो. शैलजा ने कहा कि बच्चों को अभी जो मलेरिया की दवा दी जाती है वह बहुत कड़वी होती है। इसे खाते ही बच्चे उल्टी तक कर देते हैं। ऐसे में दवा खिलाना मुश्किल होता है। इसीलिए हमने स्वीट कैंडी तैयार की। यह मलेरिया पर कितना प्रभावी है यह जांचने के लिए हमने चूहों के 6 समूह बनाए। जिसमें चूहों को मलेरिया की दवा और एरिथ्रिटॉल, केवल एरिथ्रिटॉल, केवल मलेरिया की दवा और एक समूह को आर्टिसुनेट दवा का अधिक डोज दिया गया। इसके रिजल्ट में पाया गया कि एरिथ्रिटॉल अकेले मलेरिया पर प्रभावी है। लेकिन जिस चूहे को मलेरिया की दवा और एरिथ्रिटॉल दोनों दिए गए थे वह ज्यादा असरकारक रहा।
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एरिथ्रिटोल मलेरिया की दवा की बढ़ा देता है क्षमता एरिथ्रिटोल ने दी गई दवा की क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों को अप्रैल से अक्तूबर के बीच बारिश के कारण बढ़े मच्छरों से फैलने वाले मलेरिया से बचाने के लिए हम ऐसे भी स्वीट कैंडी खिला सकते हैं। इससे उनमे मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी।
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