नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को कहा कि अरबपति कारोबारी गौतम अडाणी की कंपनियों पर लगे धोखाधड़ी और शेयरों की कीमत में हेराफेरी के आरोपों की जांच के लिए निश्चित तौर पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार मामले से जुड़े तथ्यों को नागरिकों से छिपाना चाहती है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका से परिचालित हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
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हालांकि, अडाणी समूह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वह कानून का अनुपालन करता है और जानकारी देने संबंधी शर्तों का अनुपालन करता है। यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के करोड़ों बीमा धारकों और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के करोड़ों खाताधारकों को जवाब दिया जाए क्योंकि इस मुद्दे से करदाताओं की गाढ़ी कमाई जुड़ी हुई है।
खेड़ा ने जोर देकर कहा, ‘‘देश की जनता को अडाणी समूह और शेल कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत की जानकारी मिलनी चाहिए। वह (जनता) जानना चाहती है कि देश के अहम क्षेत्र एक व्यक्ति के हाथों में क्यों सौपे गए। कांग्रेस कॉरपोरेट के खिलाफ नहीं है लेकिन वह एक कॉरपोरेट के वर्चस्व के खिलाफ है।'' उन्होंने कहा कि अगर ‘व्यापार सुगमता' का दायरा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों तक विस्तारित किया जाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल सकती है।
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उन्होंने कहा, ‘‘ मोदी सरकार जेपीसी से भयभीत है, क्योंकि उसे डर है कि इससे अडाणी समूह के साथ उसके संबंधों का खुलासा हो जाएगा। जेपीसी का गठन संसदीय परंपरा की प्रक्रिया है। जनता जानना चाहती है कि भारतीय रिजर्व बैंक को अडाणी समूह को बैंकों द्वारा दिए गए ऋण की जानकारी क्यों नहीं है।'' खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार ने जेपीसी गठित करने की विपक्ष को मांग को नहीं स्वीकार किया और जनता यह देख रही है।
क्या सार्वजनिक क्षेत्र को अपने मित्रों के फायदे के उपकरण के रूप में देखते हैं PM
कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम बंदरगाह के माध्यम से एलपीजी का आयात कर रही थी, लेकिन अब उसे अडाणी के स्वामित्व वाले गंगावरम बंदरगाह का उपयोग करने के लिए तैयार किया जा रहा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के सार्वजनिक क्षेत्र को केवल अपने मित्रों को और समृद्ध बनाने के उपकरण के रूप में देखते हैं? उधर, आईओसी ने आंध्र प्रदेश के गंगावरम स्थित अडाणी समूह के बंदरगाह को एलपीजी के आयात के लिए साथ जोड़ने से संबंधित शुरुआती समझौते पर बृहस्पतिवार को स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि समूह के साथ उसका ‘आपूर्ति लो या भुगतान करो' समझौता नहीं हुआ है।
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तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने अडाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड के तहत संचालित गंगावरम बंदरगाह को किसी निविदा के बगैर ही आईओसी का एलपीजी आयात केंद्र बनाए जाने पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस की ‘हम अडाणी के हैं कौन' श्रृंखला के तहत पिछले कुछ दिनों की तरह शुक्रवार को भी कांग्रेस नेता रमेश ने प्रधानमंत्री से कुछ सवाल किए। रमेश ने दावा किया, ‘‘हमें पता चला है कि आईओसी, जो पहले सरकार द्वारा संचालित विशाखापत्तनम बंदरगाह के माध्यम से एलपीजी का आयात कर रही थी, को अब इसकी बजाय पड़ोस के गंगावरम बंदरगाह का उपयोग करने के लिए तैयार किया जा रहा है और वह भी "आपूर्ति लो या भुगतान करो" जैसे एक प्रतिकूल अनुबंध के आधार पर।'' उन्होने प्रधानमंत्री से सवाल किया, ‘‘क्या आप भारत के सार्वजनिक क्षेत्र को केवल अपने मित्रों को और समृद्ध बनाने के उपकरण के रूप में देखते हैं?''
रमेश के अनुसार, ‘‘आईओसी ने स्पष्ट किया है कि उसने ‘अडाणी पोर्ट्स' के साथ केवल एक "गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन" पर हस्ताक्षर किए हैं और अभी तक किसी “आपूर्ति लो या भुगतान करो” जैसे बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षार नहीं किए है। क्या अडानी पोर्ट्स ने अनजाने में इस खेल को अंतिम रूप देने से पहले इसका खुलासा कर दिया था? '' उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘क्या ऐसे समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर स्पष्ट रूप से उस दिशा का संकेत नहीं दे रहे हैं, जिसमें आईओसी को धकेला जा रहा है?'' रमेश ने सवाल किया, ‘‘आईओसी शेयरधारकों के हितों के संरक्षण की निगरानी कौन कर रहा है?''
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मोदी-अडाणी का ‘गठजोड़' देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने शुक्रवार को यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडाणी समूह के बीच ‘गठजोड़' देश के लोगों, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे वर्ष 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बाहर कर इस ‘गठजोड़' को खत्म करें। सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अडाणी समूह पर लगे आरोपों की जांच कराने को इच्छुक नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सबसे गंभीर आरोप यह है कि कई विदेशी कंपनियों ने अडाणी समूह में बड़ी राशि का निवेश किया। जितनी राशि का निवेश अडाणी समूह में किया गया है वह राशि उन कंपनियों के कुल मूल्य से भी अधिक है। क्या इस बात की जांच नहीं की जानी कि निवेश की गई इस राशि का स्रोत क्या है?''
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उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हमने संसद में मामले की जांच की मांग की, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक शब्द भी इस मुद्दे पर नहीं बोला। यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि दोनों के बीच गठजोड़ है।'' सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने अडाणी की मदद करने के लिए ‘नियमों को ताक पर रखकर काम किया।' उन्होंने दावा किया, ‘‘अडाणी समूह को हवाई अड्डे और बंदरगाहों को देने के लिए नियमों को मनमाने तरीके से बदला गया।'' उन्होंने कहा, ‘‘महामारी के दौरान सभी को नुकसान हुआ जबकि अडाणी समूह की संपत्ति में कई गुना वृद्धि हुई। वर्ष 2014 में अमीरों की सूची में 609वें स्थान पर मौजूद व्यक्ति दुनिया का दूसरा सबसे अमीर व्यक्ति बन गया।'' सिंह ने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग से पहले ही कई भारतीय एजेंसियों ने अडाणी समूह में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता को लेकर आगाह किया था लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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