नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई ने मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया। याचिका में सिंह ने अपने खिलाफ चल रही सभी जांच महाराष्ट्र के बाहर स्थानांतरित करने और किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का अनुरोधा किया है।
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जज ने खुद को केस से किया अलग न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति गवई की अवकाश पीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया। मामले की सुनवाई शुरू होने पर न्यायमूर्ति शरण ने कहा, 'भाई (न्यायमूर्ति गवई) को इस मामले पर सुनवाई में कुछ परेशानी है। हम कहना चाहते हैं कि इस मामले को किसी अन्य पीठ के पास भेज दिया जाए।' न्यायमूर्ति गवई ने कहा, 'इस मामले पर मैं सुनवाई नहीं कर सकता।' पीठ ने कहा, 'किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जिसमें हम शामिल नहीं हों।'
This is a complete transgression by Bombay HC & a witch hunt is going on, lawyer for Singh tells the court. Justice BR Gavai recuses himself from hearing the petition filed by Singh. SC says, we will list the matter before another bench — ANI (@ANI) May 18, 2021
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परमबीर सिंह के वकील ने कहा ये सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ जांच 'पूरी तरह से बदले की भावना से प्रेरित है' और उच्चतम न्यायालय और बंबई उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है। सिंह 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्हें 17 मार्च को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया गया था और महाराष्ट्र राज्य होमगार्ड का जनरल कमांडर बना दिया गया था। गृह मंत्री और राकांपा के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद उन्हें पद से हटाया गया था।
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बंबई हाई कोर्ट ने दिए थे ये आदेश बंबई उच्च न्यायालय ने देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए थे। आरोपों के बाद देशमुख को भी इस्तीफा देना पड़ा था। उच्चतम न्यायालय में नई याचिका दायर कर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार एवं उसकी एजेंसियों ने उनके खिलाफ कई जांच बैठाई है। उन्होंने इन्हें महाराष्ट्र से बाहर स्थानांतरित करने और सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का आग्रह किया।
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सिंह ने इसे बताया बदले की भावना से की गई कार्रवाई सिंह को कई जांच का सामना करना पड़ रहा है जिसमें एक मामला 2015 का अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून से जुड़ा हुआ है और उन्होंने इसे राज्य की एजेंसी द्वारा बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया है। मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख ने नई याचिका में राज्य सरकार, सीबीआई और महाराष्ट्र पुलिस को पक्षकार बनाया है। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पहले दायर याचिका में देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी और दावा किया था कि उन्होंने निलंबित अधिकारी सचिन वाजे सहित पुलिस अधिकारियों से बार एवं रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने के लिए कहा था।
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