नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर बॉलीवुड में नेपोटिज़्म का मुद्दा उठाने वाली कंगना रनौत (Kangana ranaut) अब महाराष्ट्र सरकार से सीधे भिड़ गई हैं। कंगना को शिवसेना नेता सनी राउत ने हरामखोर कहा और उसके बाद कंगना ने खुद को मराठा बताया और सीधे लड़ने की चेतावनी शिवसेना को दे डाली।
इसके बाद कंगना का मुंबई स्थित ऑफिस बीएमसी ने तोड़ डाला और फिर कंगना का लगातार एक के बाद एक ट्वीट करती रहीं, महाराष्ट्र सरकार को जवाब देती रही और लगभग पूरी तरह से महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ मैदान में उतर आई हैं।
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बीजेपी को हो रहा नुकसान! लेकिन इस लड़ाई ने शिवसेना महाराष्ट्र सरकार को बड़ा फायदा पहुंचाया है। जानकारों की माने तो ये लड़ाई भले ही कंगना रनौत बीजेपी के साथ से लड़ रही हैं लेकिन इस लड़ाई में बीजेपी को नुकसान होने की पूरी संभावना है।
शिवसेना को फायदा इस पूरे मामले से महाराष्ट्र में बीजेपी की नेगेटिव इमेज बन रही है। इसकी शुरूआत तब हुई जब कंगना ने महाराष्ट्र की तुलना पीओके से की। तब कई बीजेपी नेताओं को कंगना की ये बात सही नहीं लगी और वो कंगना के खिलाफ हो गए। हालांकि बीजेपी कंगना का समर्थन करती रही और इसीलिए भी बीजेपी नेताओं ने कंगना की तुलना झांसी की रानी से की। यही वजह है कि दिल्ली के नेता भी कंगना के साथ खड़े हैं।
लेकिन बीबीसी की एक रिपोर्ट कहती है कि बीजेपी की महाराष्ट्र में नेगेटिव छवि बनी है। अगर मुंबई में बीजेपी की छवि खरब हुई तो इसका सीधा फायदा शिवसेना को होगा। बहुत मुमकिन है कि इस मसले को बीजेपी के खिलाफ महाराष्ट्र विरोधी के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाए।
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नगरपालिका के चुनाव में फायदा कंगना ने मुंबई को पीओके कहा था जिसे लेकर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि अगर मुंबई के बारे में कोई गलत बोल रहा है तो उसे यहां रहने का कोई हक नहीं है। देशमुख के इस बयान का समर्थन संजय राउत ने भी किया है। वहीँ, अब मुंबई में नगरपालिका के चुनाव होने जा रहे है और इस मुद्दे को लेकर शिवसेना को फायदा हो सकता है। जानकारों का मानना है कि इस विवाद से मुंबई में शिवसेना का पक्ष मजबूत हो रहा है।
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मजबूत होती लोकल पहचान शिवसेना के लिए लोकल स्तर पर यानी भाषा और क्षेत्रीय स्तर पर पहचान बनना हमेशा बड़ा मुद्दा रहा है। कंगना ने महाराष्ट्र और मराठा होने को लेकर एक ट्वीट किया था जिसके जवाब में संजय राउत ने कहा था कि "मुंबई मराठी मानुष के पूर्वजों की धरती है. जो इससे सहमत नहीं हैं वे अपने बाप लाकर दिखाएं. शिवसेना सुनिश्चित करेगी कि हम महाराष्ट्र के ऐसे दुश्मनों को एक सबक सिखाएं। इस मामले से शिवसेना को इन दोनों लेवल पर बड़ा फायदा हो सकता है।
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जनता का भटका ध्यान सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में कोरोना महामारी सबसे तेजी से फैली है और यहां देश में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। अभी भी यहां कोरोना का संकट बढ़ता जा रहा है साथ ही रोजगार, शिक्षा, विदर्भ में बाढ़, कोंकण निसर्ग तूफ़ान के कारण बड़ी समस्याएं पैदा हो गई थीं लेकिन कंगना के साथ बढ़ते विवाद ने इन सभी मुद्दों को साइड कर दिया और जनता का ध्यान पूरी तरह से भटका दिया। इसी का फायदा शिवसेना को सबसे ज्यादा मिला।
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