नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार कोरोना लॉकडाउन को लेकर खुश नहीं लग रहे हैं। उन्हें गरीब मजदूरों के पालयन की चिंता सताने लगी है। सोशल मीडिया पर कन्हैया कुमार अपने जज्बातों को शेयर कर रहे हैं और राजनीति के साथ शहरी व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने लॉकडाउन के सताए मजदूरों का दर्द बयान भी किया है।
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प्रवासी मजदूरों को शहर में भी बाहरी कहा जाता है और गाँव से पलायन कर जाने के कारण वो वहाँ के लिए भी परदेसी बन जाते हैं। अपने देश में ही प्रवासी बन गए इन मजदूरों का दर्द ये है कि लॉकडाउन ने शहर को इनके लिए रहने लायक नहीं छोड़ा और महामारी की आशंका इनको गाँव में घुसने नहीं दे रही। — Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) May 10, 2020
प्रवासी मजदूरों को शहर में भी बाहरी कहा जाता है और गाँव से पलायन कर जाने के कारण वो वहाँ के लिए भी परदेसी बन जाते हैं। अपने देश में ही प्रवासी बन गए इन मजदूरों का दर्द ये है कि लॉकडाउन ने शहर को इनके लिए रहने लायक नहीं छोड़ा और महामारी की आशंका इनको गाँव में घुसने नहीं दे रही।
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अपने ट्वीट में वह लिखते हैं, 'प्रवासी मजदूरों को शहर में भी बाहरी कहा जाता है और गाँव से पलायन कर जाने के कारण वो वहाँ के लिए भी परदेसी बन जाते हैं। अपने देश में ही प्रवासी बन गए इन मजदूरों का दर्द ये है कि लॉकडाउन ने शहर को इनके लिए रहने लायक नहीं छोड़ा और महामारी की आशंका इनको गाँव में घुसने नहीं दे रही।'
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कोरोना ने समाज के एक बड़े तबके को बुरी तरह से प्रभावित किया है। खासकर गरीबों-मजदूरों के लिए यह जीने-मरने का सवाल बन चुका है। अपने घर लौटने की जद्दोजहद में लगातार मजदूरों की जान जा रही है, सत्ता व समाज को इसे गंभीरता से लेना चाहिए वरना मानवता की हमारी सारी दलीलें खोखली साबित होगी। — Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) May 8, 2020
कोरोना ने समाज के एक बड़े तबके को बुरी तरह से प्रभावित किया है। खासकर गरीबों-मजदूरों के लिए यह जीने-मरने का सवाल बन चुका है। अपने घर लौटने की जद्दोजहद में लगातार मजदूरों की जान जा रही है, सत्ता व समाज को इसे गंभीरता से लेना चाहिए वरना मानवता की हमारी सारी दलीलें खोखली साबित होगी।
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अपने दूसरे ट्वीट में कन्हैया कुमार लिखते हैं, 'कोरोना ने समाज के एक बड़े तबके को बुरी तरह से प्रभावित किया है। खासकर गरीबों-मजदूरों के लिए यह जीने-मरने का सवाल बन चुका है। अपने घर लौटने की जद्दोजहद में लगातार मजदूरों की जान जा रही है, सत्ता व समाज को इसे गंभीरता से लेना चाहिए वरना मानवता की हमारी सारी दलीलें खोखली साबित होगी।'
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