नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बेहद करीबी तरुण चुघ राष्ट्रीय महासचिव तो हैं ही, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, तेलंगाना और भारतीय जनता युवा मोर्चा के केंद्रीय प्रभारी भी हैं। जम्मू- कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य का प्रभारी होने से साफ हो जाता है कि पार्टी उन्हें कितनी अहम जिम्मेदारी दे रही है। छात्र राजनीति से शुरूआत करके राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंचने वाले चुघ के साथ जम्मू-कश्मीर, वहां के हालात, राजनीतिक व सामाजिक मसलों और संगठन से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की नवोदय टाइम्स के हरिश्चंद्र ने। पेश हैं प्रमुख अंश:-
2 परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद से विपक्ष आरोप लगा रहा है कि जानबूझ कर जम्मू क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें बढ़ाई गईं। सांबा, कठुआ और उधमपुर जिलों में हिंदू आबादी 85 प्रतिशत और राजौरी, डोडा, किश्तवाड़ में करीब 40 फीसदी हिंदू हैं, इन्हीं 6 जिलों में एक-एक सीट बढ़ाई गई है। क्या इससे भाजपा को ही फायदा नहीं होगा? परिसीमन आयोग स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है। आयोग के काम करने का अपना मापदंड है। आजकल विपक्ष ने हर संवैधानिक संस्था पर आरोप लगाने का नया फैशन बना लिया है। जहां तक विपक्ष के इस मुद्दे पर बेबुनियाद और तर्कहीन आरोप का सवाल है तो वो ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। विपक्ष की राजनीतिक जमीन परिवारवाद, भ्रष्टाचार, तानाशाही व जनता के मुद्दों से बेरूखी के कारण खिसक गई है। यही कारण है कि वह अनर्गल आरोप लगाकर प्रलाप कर रहे हैं।
2 आयोग द्वारा कश्मीरी पंडितों के लिए 2 सीटें आरक्षित करने की सिफारिश को आप कैसे देखते हैं? फैसले का स्वागत करते हैं, कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार व उनके पलायन से भाजपा हमेशा चिंतित रही है। हमने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को 1990 से लगातार देश के सामने, संसद के सामने रखा है, पूरा देश उनको लेकर चिंतित है।
भाजपा जम्मू- कश्मीर में 2014 विधानसभा चुनाव में 25 सीटें जीत कर दूसरी बड़ी पार्टी बनी थी, अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए क्या संभावना है? जम्मू-कश्मीर की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी के साथ है। परिवारवाद और भ्रष्टाचार की राजनीति को जनता समझ चुकी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की जनता के आशीर्वाद से सभी सीटें भाजपा की झोली में आएंगी।
जम्मू क्षेत्र में मिली पिछली जीत को दोहराते हुए क्या कश्मीर में भी पार्टी अपना प्रभाव छोड़ पाएगी? चुनाव लोकतंत्र का पर्व है और हम इसको पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से मनाते हैं। हम सेवा ही संगठन के मूलमंत्र पर चलते हैं। कुछ राजनीतिक दल चुनावी पर्यटक के रूप में सिर्फ चुनाव के समय में आते हैं, उन्हें जनता सबक सिखाएगी।
धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में क्या बड़ा बदला? कश्मीर में विश्वास और विकास की बयार बहने लगी है। भारत के कानून यहां भी लागू हुए हैं। जो पीड़ित, वंचित और शोषित थे, उनके हित के लिए काम होने लगा है। अब यह टैरेरिस्ट कैपिटल नहीं टूरिज्म कैपिटल बनने जा रहा है। केंद्रीय योजनाओं को धरातल पर उतारा गया है और विकास की गति तेज हुई है।
कश्मीरी मुसलमानों का भरोसा जीतने में क्या भाजपा और केंद्र सरकार कामयाब हो पाए हैं? भाजपा धर्म, मजहब, जाति की राजनीति नहीं करती। भाजपा सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास में विश्वास करती है।
पहले जम्मू-कश्मीर में सेना पर पत्थरबाजी के फोटो, वीडियो आते थे लेकिन अब क्यों नहीं? जब तक कश्मीर में अलगाववाद समर्थित सरकारें शासन करती थीं, सेना के जवानों पर पत्थर फैंके जाते थे, जबकि आज के कश्मीर में उन्हीं पत्थरों से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विकास का सेतु बांधा जा रहा है। युवाओं के लिए नए-नए रोजगार के अवसर पैदा किए गए हैं। नौजवानों के हाथों में पत्थर व गन की बजाए कंप्यूटर पकड़ाया है।
हाल के दिनों में जिस तरह से आतंकवादियों ने प्रवासियों को निशाना बनाया, उसके पीछे क्या मंशा नजर आती है? कश्मीर घाटी में दहशत फैलाने के लिए यह आई.एस.आई. का षड्यंत्र है और भारतीय सुरक्षा बल इससे प्रभावी रूप से निपटेंगे। लोगों को अहसास हो गया है कि इतने दशकों तक अब्दुल्ला, मुफ्ती और नेहरू परिवारों ने उन्हें मूर्ख बनाया है। अब नया विकास होने लगा है और लोग खुश हैं लेकिन आई.एस.आई. इससे खफा व चिंतित में है इसलिए वह पाकिस्तानी एजैंटों के जरिए हिंसा करवा रही है। हमारी सरकार लगातार आतंकवाद के समूल नाश एवं राज्य में विकास, विश्वास, अमन-चैन और सुरक्षा पर काम कर रही है।
जम्मू-कश्मीर को फिर पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग भी कई विरोधी दल उठाते रहते हैं। इस पर क्या कहेंगे? जम्मू-कश्मीर अपने अतीत से आगे बढ़ चुका है। विकास व प्रगति का एक नया अध्याय लिख रहा है। ऐसी सभी मांगें उन राजनेताओं द्वारा उठाई जा रही हैं जो जम्मू-कश्मीर में गैर जरूरी हो गए हैं। भाजपा वह सब कुछ करेगी जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए लाभकारी होगा व इस पर सही समय पर सही निर्णय लिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह समेत सभी मंत्रियों के गत प्रवास ने सरकार की स्पष्ट नीति व सही दिशा से जम्मू-कश्मीर के नागरिकों का मन जीता है। समय आने पर पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जाएगा।
धारा 370 को हटाना एक ऐतिहासिक फैसला क्यों है? अनुच्छेद-370 एक पुराने ट्यूमर जैसा था, जिसे हटाना भारत के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आवश्यक था। सैंकड़ों जनहित के कानून वहां लागू नहीं थे, महिलाओं, एस.सी. एवं एस.टी. को शेष देश में मिले अधिकारों से वंचित रखा गया था। विकास व विश्वास में बाधा भी धारा 370 एवं 35ए हटने से दूर हुई है। जब भारत का इतिहास लिखा जाएगा, तो इसे वर्तमान सरकार द्वारा लिए सबसे बड़े कदमों में से एक माना जाएगा, जो मजबूत, निर्णायक और दूरदर्शी निर्णयों वाले आधुनिक भारत के वास्तुकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संपन्न हुआ।
जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद ने 40 साल से देश को खोखला कर रखा है, सरकार की इस पर क्या नीति है? अनुच्छेद-370 को हटाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में एक उल्लेखनीय गिरावट आई है। मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति है। मोदी सरकार के आतंकवाद, अलगाववाद और राष्ट्र विरोधी गतिविधियां के खिलाफ उठाए गए कड़े कदमों में आतंकवाद को वित्तीय रूप से कमजोर करना, सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना, आतंकी संगठनों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को पूरी और खुली छूट, राष्ट्र विरोधी तत्वों पर नकेल कसना और समर्थन करने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर कड़ी नजर रखना शामिल है। एन.आई.ए. ने कई आतंकी-वित्तपोषण मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है, जो फंडिंग के माध्यम से स्थानीय युवाओं को आतंकी गतिविधियों में लगाने का काम करते थे।
आजादी से लेकर 2019 तक स्थानीय विपक्षी दलों और भाजपा की सोच को आप कैसे अलग देखते हैं? आजादी के 72 साल तक राष्ट्रीय राजनीति के मानचित्र पर कश्मीर आतंकवाद और परिवारवाद का पर्याय बना हुआ था। न तो कश्मीर को कश्मीरियत की पहचान मिल रही थी और न ही इसे राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल करने की कोशिश की जा रही थी। अधिकांश राजनीतिक दल तुष्टिकरण की राजनीति का ऐसा चोला ओढ़े हुए थे कि श्रीनगर में कभी राष्ट्रीय आन, बान और शान के प्रतीक तिरंगा फहराने की बात तो दूर इसके लिए हर प्रयास का विरोध ही करते रहे। वहीं जनसंघ से लेकर भाजपा तक कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते हुए इसके लिए अनवरत संघर्ष किया गया। कश्मीर में परमिट व्यवस्था की समाप्ति, जनसंघ संस्थापक अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी की शहादत, 1952-53, 1991-92 में लाल चौक पर तिरंगा फहराया, 2019 में धारा 370 की समाप्ति कर कश्मीर के लोगों को हमेशा के लिए भ्रष्टाचार, परिवारवाद से आजादी देकर देश के विकास की मुख्य धारा में जोड़ा गया।
जम्मू-कश्मीर के विकास में 2019 के बाद भाजपा की क्या उपलब्धियां हैं? जम्मू- कश्मीर में विकास पैकेज के तहत 53 प्रोजैक्ट लगभग 58,470 करोड़ रुपए के अंतर्गत जारी हुए हैं। यह प्रोजैक्ट जम्मू- कश्मीर में स्वास्थ्य, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कौशल विकास, कृषि के विकास में एक नई उड़ान देंगे। युवाओं को जम्मू -कश्मीर प्रशासन ने लगभग 30 हजार सरकारी नौकरियां तथा लगभग 5.2 लाख स्वरोजगार पैदा करके युवाओं को देश के विकास में अपना योगदान देने का अवसर दिया है। केंद्र सरकार ने कश्मीर में स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया है।
धारा 370 हटाते समय सरकार का वायदा था कि उपयुक्त समय पर चुनाव कराए जाएंगे, क्या तैयारी है? धारा-370 के हटने का सभी ओर स्वागत हो रहा है। लोकतंत्र मजबूत हुआ है, प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पंचायत, बी.डी.सी. एवं डी.डी.सी. चुनावों में लाखों की तादाद में वोट डाल कर लोकतंत्र को मजबूत किया है व मोदी सरकार की नीतियों पर अटूट विश्वास प्रकट किया है। चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव की पूरी तैयारी में लगा है। आयोग परिसीमन के बाद अब वोटर लिस्ट बनाने पर पूरी ताकत से लगा है।
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