नई दिल्ली/ टीम डिजिटिल। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार ने अपनी नई इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति के तहत बैटरी चालित वाहनों को पथ कर से छूट दे दी है। यह जानकारी दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने रविवार को दी। दिल्ली सरकार के बयान के मुताबिक, लोगों से इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण पर छूट देने के बारे में सुझाव मांगा गया है। इसमें कहा गया कि तीन दिनों के अंदर शुल्क माफ करने का आदेश जारी किया जाएगा।
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परिवहन विभाग ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल ने सभी बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाले कर में तत्काल प्रभाव से छूट दे दी है। गहलोत ने ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली को बधाई। ऐतिहासिक ईवी नीति घोषित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जो वादा किया था उसके मुताबिक दिल्ली सरकार ने बैटरी चालित वाहनों को पथ कर से छूट दे दी है।’’
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निर्णय को ‘‘दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने की तरफ एक और महत्वपूर्ण कदम बताया।’’ उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘इस नीति से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा और दिल्ली को भारत की ईवी राजधानी बनाने का सपना पूरा होगा।’’
मुख्यमंत्री ने अगस्त में दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2020 की घोषणा की थी जिसमें पथ कर से छूट देने और पंजीकरण शुल्क माफ करने तथा नयी कारों पर डेढ़ लाख रुपये तक प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी। अधिसूचना में महानगर की सरकार ने लोगों से कहा कि पंजीकरण शुल्क में छूट देने पर वे अपना विचार व्यक्त करें।
पराली को लेकर केजरीवाल पेश करेंगे छिड़काव दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को शहर के गालिब पुर गांव में ऐसे पदार्थ को पेश करेंगे जिसके छिड़काव से पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि अब तक हमें करीब 1500 एकड़ जमीन पर इस पदार्थ का छिड़काव करने के आवेदन मिले हैं। इस भूमि पर गैर-बासमती चावल उगाया जाता है।
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के वैज्ञानिकों ने‘’बायो-डीकंपोकार कैप्सूल‘’(जैव- घुलनशील कैप्सूल) विकसित किया है जिसका इस्तेमाल एक तरल पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है। इस पदार्थ को जब खेतों में छिड़का जाता है तो यह फसल के ठूंठ को गला देता है और इसे खाद में तब्दील कर देता है। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के खरखड़ी नहर गांव में केंद्रीकृत जैव-घुलनशील प्रणाली की स्थापना की गई है। दिल्ली सरकार इस साल इस पदार्थ का इस्तेमाल उस जमीन पर करेगी जहां गैर-बासमति चावल की खेती होती है।
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राय ने कहा, च्च्हमने अनुमान लगाया है कि इस पदार्थ के माध्यम से दिल्ली में 800 हेक्टेयर कृषि भूमि में पराली का निपटान करने के लिए केवल 20 लाख रुपये की आवश्यकता है। इसमें पदार्थ को तैयार करने, ले जाने और छिड़काव का खर्च शामिल है।’’ उन्होंने कहा कि अगर यह दिल्ली में कामयाब हो जाता है तो यह पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मुद्दे का अच्छा समाधान हो सकता है।
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