नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सरकार के साथ किसानों की आठवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही है। ऐसे में किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) अब और भी उग्र हो सकता है। किसानों के आंदोलन को 44 दिन पूरे हो चुके हैं। वहीं देश खाप के चौधरी सुरंद्र सिंह ने चेतावनी दे दी है कि अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानेगी तो वो गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में 1 लाख ट्रैक्टरों को लेकर दाखिल होंगे और परेड करेंगे।
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो पूरा देश इस साल 26 जनवरी के दिन जवानों और किसानों को एक साथ देखेगा। ट्रैक्टर परेड की तैयारी शुरू हो चुकी है। वहीं किसानों ने इसका ट्रेलर भी सरकार को दिखा दिया है। खाप के किसानों का कहना है कि जितनी देर सरकार हमारी मांगे पूरी करने में लगाएगी उतना ही नुकसान सरकार को झेलना होगा।
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किसान आंदोलन को हल्के में न लें- खाप खाप के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि सरकार और प्रशासनिक अधिकारी इस किसान आंदोलन को हल्के में न लें। किसानों को पता चल चुका है कि दिल्ली की कमजोरी परेफरल वे है। अब किसान इसी को घेरेगा तब सरकार पर दबाव बनेगा। वहीं किसान अब जेल जाने से भी नहीं घबरा रहे हैं। उनका कहना है कि वो कई बार जेल जा सकते हैं। सरकार जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं करेगी वो दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे।
सरकार कानून वापस लेने को तैयार नहीं वहीं आठवें दौर की वार्ता के दौरान सरकार ने दू टूक कह दिया कि कानून रद्द नहीं होगा, कोई और विकल्प दो तो विचार किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक वार्ता के दौरान कुछ किसान नेता उत्तेजित हो गए, जिस पर कृषि मंत्री ने कहा कि कानून अगर असंवैधानिक लग रहा है तो कोर्ट में जाइए। बाद में माहौल थोड़ा सामान्य हुआ तो 15 जनवरी को फिर एक बार दोनों पक्षों ने बातचीत के लिए बैठने पर सहमति बनाई।
बीते 44 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन का कोई समाधान निकलने की बजाए, अब बात बिगड़ती जा रही है। दोनों पक्षों ने अपनी नाक का सवाल बना लिया है। न किसान पीछे हटने को तैयार और न ही सरकार कदम खींचने को राजी। बात जहां से शुरू हुई थी, 44 दिन बाद भी वहीं ठहरी हुई है।
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8वें दौर की वार्ता में थे 41 किसान प्रतिनिधि किसान यूनियनों के 41 प्रतिनिधियों के साथ सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश के बीच शुक्रवार को विज्ञान भवन में करीब दो घंटे तक चली 8वें दौर की वार्ता का नतीजा भी ढाक के तीन पात ही निकला। वार्ता के दौरान दोनों पक्षों में थोड़ी तल्खी भी दिखी। किसानों ने कहा कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते, किसान की घर वापसी नहीं होगी। इस पर कृषि मंत्री ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि कानून तो वापस नहीं होगा, कोई और विकल्प हो तो दीजिए।
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