नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। देश के पूर्व गृहमंत्री की बेटी के अपहरण का मामला जो 31 साल पुराना है इसमें टाडा कोर्ट (Tada Court) ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu and Kashmir Liberation Front) प्रमुख यासीन मलिक (Yasin Malik) पर आरोप तय किए हैं। यासीन मलिक के ऊपर रूबिया सईद (Rubaiya Sayeed) के किडनैपिंग और आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है। 8 दिसंबर 1989 के इस अपहरण मामले से देश में हड़कंप फैल गया था।
इसके बदले में 5 आतंकियों को छोड़ना पड़ा था। इस मामले सीबीआई ने टाडा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में यासीन मलिक समेत दो दर्जन आरोपियों के नाम शामिल हैं। इस मामले को 31 साल बीत चुके हैं। उस वक्त रूबिया के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद वीपी सिंह सरकार में गृहमंत्री थे।
चानपूरा चौक के पास हुई थी किडनैपिंग 1989 में केंद्र में वीपी सिंह को सत्ता संभाले मुश्किल से एक हफ्ता बीता था जब दोपहर 3 बजे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद ने एमबीबीएस पूरा करने के बाद श्रीनगर के अस्पताल में इंटर्नशिप शुरू किया था। उस दिन अस्पताल में अपनी ड्यूटी पूरी होने के बाद वे घर के लिए निकली थीं, और वे जिस बस में सवार हुई वो लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ जा रही थी।
उसी बस में आतंकी पहले से ही मौजूद थे। जब बस चानपूरा चौक के पास पहुंची, तो तीनों आतंकियों ने बंदूक की नोक पर बस रुकवाया और रूबिया सईद को नीचे उतारकर नीले रंग की मारुति कार में बिठाकर फरार हो गए। इस घटना का मास्टरमाइंड अशफाक वानी था।
जेकेएलएफ के जावेद मीर ने ली थी अपहरण की जिम्मेदारी इस घटना के दो घंटे बाद ही जेकेएलएफ के जावेद मीर ने एक स्थानीय अखबार को फोन करके गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण की जिम्मेदारी ली। जब ये खबर सामने आया तो चारों ओर कोहराम मच गया और दिल्ली से श्रीनगर तक पुलिस से लेकर इंटेलिजेंस की बैठक शुरू हो गई।
आतंकियों का रूबिया के अपहनण का मकसद था 7 आतंकियों की रिहाई की मांग। रूबिया के अपहनण के बाद मध्यस्ता के लिए कई माध्यम खोले गए और देखत-देखते इसमें 5 दिन बीत गए।
जिसके बाद 13 दिसंबर 1989 को दिल्ली से दो केंद्रीय मंत्री विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नाराणयन और नागरिक उड्डयन मंत्री आरिफ मोहम्मद खान श्रीनगर पहुंचे। जब यह अपहरण कांड हुआ था उस वक्त फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। ऐसे में दोनों मंत्री और सुरक्षा सलाहकार फारूक अब्दुल्ला से मिलने पहुंच।
प्रधानमंत्री ने फारूक अब्दुल्ला से की थी ये अपील फारूक अब्दुल्ला और दोनों केंद्रीय मंत्रियों के बीच बातचीत में फारूक अब्दुल्ला आतंकियों को छोड़ने पर असहमत थे लेकिन उन्हें ये मानना पड़ा। फारूक अब्दुल्ला ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें वीपी सिंह ने आधी रात को फोन किया और कहा कि डॉक्टर साब हम टीम भेज रहे हैं।
कृपया रूबिया को छुड़ाने में मदद करें और जब आईके गुजराल, आरिफ मोहम्मद खान और एमके नारायणन अब्दुल्ला के घर पहुंचे तो फारूक अब्दुल्ला ने अपने चीफ सेक्रेटरी और मिस्टर (एएस) दुलत से उन्हें ब्रीफ करने को कहा, बातचीत के बाद 13 दिसंबर की दोपहर तक सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच समझौता हुआ।
जिसके तहत उस दिन शाम 5 बजे 5 आतंकियों को रिहा किया गया। उसके बाद लगभग साढ़े सात बजे रूबिया को सोनवर स्थित जस्टिस मोतीलाल भट्ट के घर सुरक्षित पहुंचाया गया। जिन आतंकियों को छोड़ा गया, वे अब्दुल हामिद शेख, गुलाम नबी भट, जावेद अहमद जरगर, नूर मोहम्मद कलवल, अल्ताफ बट थे।
विशेष विमान से रूबिया को भेजा गया दिल्ली रूबिया के रिहा होने के बाद उसी रात विशेष विमान से उन्हें दिल्ली लाया गया। एयरपोर्ट पर मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी दूसरी बेटी महबूबा मुफ्ती मौजूद थे। उन्होंने रुबिया को गले से लगा लिया और कहा था कि एक पिता के रूप में मैं खुश हूं लेकिन एक नेता के रूप में यहीं कहना चाहूंगा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।
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