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भारत में ड्रग्स सेवन को लेकर क्या हैं कानून, क्या ड्रग्स मामले में हो सकती है मौत की सजा?

  • Updated on 9/24/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सुशांत सिंह राजपूत केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) लगातार छापेमारी कर रही है। ऐसे में अब तक कई बॉलीवुड सितारों के नाम सामने आ चुके हैं लेकिन अब इस ड्रग केस में टीवी और फ़िल्मी सितारों के चेहरे भी बेनकाब होने वाले हैं। अब इस मामले में दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, रकुल प्रीत सिंह, श्रद्धा कपूर का नाम भी सामने आया है। 

हालांकि ऐसा नहीं है कि ये पहली बार है। फ़िल्मी दुनिया से पहले भी इस तरह की खबरें आती रही हैं। लेकिन अब हम आपको ये बताने जा रहे है कि अगर ड्रग इस्तेमाल करने या रखने का कोई दोषी पाया जाता है तो कानून उसे क्या सज़ा दे सकता है? 

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क्या है एंटी ड्रग्स कानून?
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सब्सटैंस एक्ट (NDPS) एक्ट 1985 और NDPS एक्ट 1988 दो मुख्य कानून हैं, जो भारत में ड्रग्स से जुड़े मामलों पर लागू होते हैं। इस कानून के अनुसार, नारकोटिक ड्रग्स या फिर किसी भी नियंत्रित केमिकल या साइकोट्रॉपिक पदार्थ का उत्पादन, पजेशन, बिक्री, खरीदी, व्यापार, आयात-निर्यात और इस्तेमाल किया जाने पर रोक है। इसका इस्तेमाल सिर्फ मेडिकल या वैज्ञानिक कारणों से विशेष मंज़ूरियों के बाद ही संभव होता है। 

अगर कोई इस रोक और प्रतिबंध को तोड़ने की कोशिश करता है या तोड़ता है तो उसके खिलाफ कानूनन कार्यवाई की जाती है जिसमें सर्च, कुर्की और गिरफ्तारी की जाती है। ऐसे मामलों में जांच करने वाली एजेंसी प्राइवेट या पब्लिक जगहों पर कार्रवाई कर सकती है।

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भारत में ड्रग्स पर नीति...
भारत के संविधान की धारा 47 के अनुसार राज्य को ड्रग्स नियंत्रण, रोकथाम के लिए कुछ शक्ति मिली हुई हैं। ड्रग्स का कंट्रोल करने के लिए तीन श्रेणियों में ड्रग्स को रखा गया है। जिसमें से एक, एलएसडी, मेथ जैसे साइकोट्रॉपिक पदार्थों की श्रेणी है। दूसरी चरस, गांजे, अफीम जैसी और तीसरी श्रेणी में मिश्रण वाले केमिकल पदार्थों को रखा गया है। जिसे कंट्रोल्ड सब्सटैंस कहते हैं।

यहां ये भी बता दें कि कोकीन से लेकर गांजे तक करीब सवा सौ से ज्यादा ऐसे ड्रग्स आते हैं जो एनडीपीसी के तहत बैन है। इनके किसी भी तरह के मिश्रण अपने पास रखने, इतेमाल करने या उसका लेन-देन कानून के खिलाफ है जिसपर सजा हो सकती है। सजा इस बात पर निर्भर है कि कानून कितना और कैसे तोड़ा गया है।

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क्या हो सकती है सज़ा?
साल 2008 में की गई व्यवस्था के अनुसार ड्रग्स के निजी इस्तेमाल के आरोपी को 10 साल तक की सजा जबकि व्यापारिक/कमर्शियल मात्रा में ड्रग्स रखने पर 20 साल तक की सख्त सजा देने का कानून है। लेकिन इस साल सुप्रीमकोर्ट ने इस कानून को थोड़ा बदला है। अब ड्रग्स की मात्रा के हिसाब से सजा नहीं दी जाएगी बल्कि कम से कम 10 साल से 20 साल तक सजा हो सकती है और 1 लाख रूपये का जुर्माना भी हो सकता है।

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मौत की सजा और विभाग 
इसके अलावा, कुछ खास और गंभीर मामलों में कोर्ट अपने विवेक से ड्रग्स कारोबार से जुड़े दोषी को मृत्युदंड भी दे सकती है। इस मामले में स्थानीय पुलिस के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल डिविजन, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स, एनसीबी के साथ ही डीआरआई, सीबीआई, कस्टम कमीशन और बीएसएफ को ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के अधिकार हैं।

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