Monday, Oct 02, 2023
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Ramzan 2019: रोजे से जुड़ी ये धारणाएं बनी हुई हैं मिथक, जानें सच्चाई

  • Updated on 5/13/2019

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। इबादत और रहमतों के पाक महीने की शुरुआत हो गई है, इस महीने में 30 दिन तक रोजे रखे जाते हैं और इसके बाद ईद उल फितर का त्योहार मनाया जाता है। इसमें रखे जाने वाले रोजे से कई तरह के मिथक भी जुड़े हुए हैं। आइये जानते हैं इन मिथकों की सच्चाई...

हर किसी को रोजा रखना जरूरी

यूं तो 12 साल से बड़े हर व्यक्ति के लिए रोजा रखना अनिवार्य है, लेकिन इसमें कई तरह के लोगों को छूट दी गई है। अगर व्यक्ति बीमार या शारीरिक रूप से सक्षम न हो, प्रेग्नेंट हो, बुजुर्ग हो या लंबा सफर तय करना हो तो ऐसी स्थिति में रोजे छोड़े जा सकते हैैं।

गलती से खाने पर रोजा टूटना

इस्लाम में रोजा तोड़ना एक गुनाह है, लेकिन अगर आप गलती से कुछ खा या पी लें तो रोजा टूटता नहीं है। ऐसी स्थिति में जब गलती से कुछ खा लिया जाए तो तुरंत अपनी गलती सुधार लें और कुल्ला कर लें तो रोजा तोड़ा नहीं माना जाता।

पीरियड्स में रोजे टूटना

पीरियड्स के दौरान महिलाओं के रोजे रखने को माफ किया गया है, यानि पीरियड्स के समय महिलाओं को रोजे नहीं रखने होते। छूठे हुए ये रोजे महिलाएं ईद के बाद रखती हैं। जितने दिन के भी वह रोजे छोड़ने हैं, उतने रोजे ईद के बाद रखे जाते हैं।

रोजे में मना है तेल या इत्र लगाना

रोजे में सफाई एक अहम हिस्सा है जिसमें आपको पाक रहना जरूरी है। सिर में तेल लगाना और नहा धोकर इत्र लगाना सफाई का हिस्सा है। जिसमें किसी तरह की कोई मनाही नहीं है। 

ब्रश करना मना

ब्रश मुंह की सफाई का अहम हिस्सा है, जिसमें सुबह की शुरुआत मुंह साफ करके ही की जाती है। सुबह की नमाज से पहले वजू किया जाता है, जिसमें मुंह, हाथ, पैर धोने के साथ-साथ मुंह साफ करना भी इसका हिस्सा है। लेकिन रोजे के दौरान इस बात का ध्यान रखना होगा कि मुंह में पानी न चला जाए।

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