नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारतीय संविधान (Constitution of India) में भारत के हर नागरिक को समान दृष्टि से देखा गया है और संविधान निर्माताओं ने इस बात का विशेष ध्यान रखा था कि देश में आगे चलकर कोई भेदभाव ना रहे और सभी मिलजुल कर रहें, इसलिए संविधान में अल्पसंख्यक और पिछड़े का विशेष ध्यान रखा गया है। भारत अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए दुनिया भर में अलग पहचान रखने वाला हमारा देश भारत अल्पसंख्यक समुदायों के विकास के प्रति गंभीर रहा है।
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (Minorities Rights Day 2020) हर साल 18 दिसंबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 18 दिसम्बर, 1992 को एक घोषणा पारित कर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के संरक्षण एवं उनका कल्याण सुनिश्चित करने की व्यवस्था करने की मांग की गई थी। इस घोषणा को यू.एन. डिक्लेरेशन ऑन माइनारटी (UN Declaration on the Rights of Minorities) के नाम से जाना जाता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के कल्याण हेतु चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों से उन्हें परिचित कराने, उनके कल्याण से सम्बन्धित मामलों को चिन्हित करने, उनके शैक्षिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु उन्हें जागरूक करने के लिए अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (Minorities Rights Day) का आयोजन 18 दिसंबर को किया जाता है।
भारत में अल्पसंख्यक किसी राष्ट्र-राज्य में रहने वाले ऐसे समुदाय, जो संख्या में कम हों और सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हों। जिनकी प्रजाति, भाषा, धर्म या परंपरा बहुसंख्यकों से अलग हो और राष्ट्र के निर्माण, विकास, एकता, संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान हो। भारत में मुस्लिम, सिख, बौध, इसाई, पारसी और जैन समुदाय को अल्पसंख्यक के तौर पर अधिसूचित किया गया है।
इसके तहत अल्पसंख्यक क्षेत्र विशेष में उनकी जाति, धर्म, संस्कृति, भाषा, परंपरा की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुख्य उद्देश्य होता है। भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक होने का आधार धर्म और भाषा को माना गया है। भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 19 फीसदी अल्पसंख्यक समुदाय हैं।
इन धाराओं में अल्पसंख्यको अधिकार भारत के संविधान की धारा 15 और धारा 16 में मौलिक अधिकारों के वर्ग में साफ लिखा हुआ है कि जो सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं उनके विकास के लिए विशेष कोशिशें की जाएं। यह कोशिश सरकार करती है। संविधान में कहा गया है कि ऐसे लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा। किंतु इस तरह के प्रावधान किसी भी रूप में धार्मिक आधार पर किसी रियायत की वकालत नहीं करते हैं।
भारत में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है और अल्पसंख्यक समुदाय के हितों के लिए समग्र नीति के निर्माण, इनकी योजना, मूल्यांकन और नियामक रूपरेखा और नियामक विकास कार्यक्रमों की समीक्षा भी करता है।
अल्पसंख्यकों के लिए भारत में अलग से मंत्रालय है। यह मंत्रालय अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है और उनकी रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। जैसे शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक अधिकार, आर्थिक सशक्तिकरण, महिला सशक्तीकरण, समान अवसर, कानून के तहत सुरक्षा और संरक्षण आदि।
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