नई दिल्ली। अनामिका सिंह। पांडवकालीन इतिहास को खोजने की कोशिश हमेशा से ही इतिहासकारों द्वारा की राजधानी दिल्ली में की जाती रही है। खांडवप्रस्थ, यानि कीकर के वन को काटकर इसे इंद्रप्रस्थ बनाने के लिए पांडवों ने काफी मेहनत की ओर इसे अपनी राजधानी बनाया था। इसीलिए पांडवकालीन इतिहास की खोजबीन में लगे हुए लोगों की सुई पुराना किला में आकर रूक जाती है। मजे की बात यह है कि पुराना किला में हुए चार उत्खन्न में पांडवकालीन कोई अवशेष तो नहीं मिले लेकिन पांडवों से इसके जुड़े होने का एकमात्र जीवंत ऐतिहासिक स्मारक यदि कोई बचा है तो वो है पुराना किला परिसर में बना कुंती देवी मंदिर। तो आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
पांडवों की माता कुंती के नाम से प्रसिद्ध है पुराना किला का मंदिर बता दें कि कुंती देवी मंदिर पुराना किला के मथुरा रोड़ से आने वाले मुख्यद्वार से सीधी हाथ में बने पुराने म्यूजियम से कुछ ही दूरी पर स्थित है। अपने रहस्य को छिपाए कुंती देवी मंदिर में शिव और शक्ति (मां दुर्गा) की मूर्तिंयां देखी जा सकती हैं। इसलिए इसे कुंती देवी शिव-दुर्गा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि इस मंदिर के बारे में ऐतिहासिक तथ्य किताबों में नहीं मिलता है। लेकिन लाल व पीले रंग से रंगा यह मंदिर आज भी दिल्लीवासियों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। वहीं मंदिर के नजदीक एक शिलालेख भी मिलता है जिसमें लिखा गया है कि भारत वर्ष के ऐतिहासिक महाराजा युधिष्ठिर की यहां राजधानी इंद्रप्रस्थ थी। यह धार्मिक शिव व दुर्गा देवी मंदिर पांडवों की माता महारानी कुंती के नाम से प्रसिद्ध है।
1915 में हुआ था मंदिर का जीर्णोद्धार यहां लगे शिलालेख से जानकारी मिलती है कि मंदिर का जीर्णोद्धार इंद्रप्रस्थ गांव के निवासी 108 महंत पंडित ग्यासी राम भारद्धाज ने चैत्र शुदी अष्टठमी विक्रमसंवत 1965 में करवाया गया था। अब भी यह मंदिर उनके उत्तराधिकारियों द्वारा देख-रेख किया जा रहा है। उन्हीं के अधिकार क्षेत्र में पास में ही बने कुटिया, धर्मशाला, चबूतरा, बगीचा और आस-पास की भूमि भी आती है। इस मंदिर को कोई संस्था नहीं बल्कि महंत परिवार ही देखता है।
कुंती देवी मंदिर के पास एएसआई करवा रही है खुदाई पूर्व मौर्य काल से पहले के अवशेष ढूंढने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पांचवी बार पुराना किला में खुदाई (उत्खन्न) का कार्य करवाया जा रहा है। पांडवकालीन अवशेष ढूंढने के लिए एएसआई की टीम ने जिस नई जगह को चिन्हित कर काम शुरू किया है वो कुंती देवी मंदिर के नजदीक ही सामने की ओर पार्क है। एएसआई की टीम को पूरा भरोसा है कि यहां मंदिर के नजदीक पांडवकालीन अवशेष प्राप्त हो सकते हैं।
नई दिल्ली बसने से पहले यहां था इंद्रप्रस्थ गांव एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि मंदिर में अब श्रद्धालुओं की भीड़ कम ही आती है लेकिन जब अंग्रेजों ने नई दिल्ली नहीं बसाया था तो यहां इंद्रप्रस्थ नाम से एक गांव हुआ करता था। करीब 1900 लोग पुराना किला के आस-पास इस गांव में झोपडिय़ा बनाकर रहा करते थे। कहते हैं कि उस दौरान यहां दर्शनार्थी खूब आया करते थे लेकिन अब विशेष त्योहारों पर ही गांव के लोग मत्था टेकने आते हैं। टिकटिंग होने की वजह से भी श्रद्धालुओं की संख्या में कमी हुई है।
पुराना किला की उत्तरी दीवार पर है पांडवकालीन भैरों मंदिर इस कुंती देवी मंदिर के साथ ही कई ऐसे ओर भी प्रमाण है जो पुराना किला को इंद्रप्रस्थ और पांडवों की राजधानी होने के ठोस प्रमाण देते हैं। वो है पुराना किला की उत्तरी दीवार के बाहर स्थित भैरों मंदिर जिसे पांडवों में से एक पांडव भीमसेन से जुड़ा हुआ बताया जाता है। ऐसे में ये मंदिर पांडवकालीन है इसे सिरे से ठुकराया भी नहीं जा सकता है।
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