Sunday, Jun 04, 2023
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लखीमपुर खीरी हिंसा: सेशन जज ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- सुनवाई पूरी करने में 5 साल लग सकते हैं

  • Updated on 1/11/2023


नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे सत्र न्यायाधीश ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि सामान्य तौर पर मुकदमे की सुनवाई पूरी करने में लगभग पांच साल लग सकते हैं। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा भी एक आरोपी है। शीर्ष अदालत को सौंपी गई रिपोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा है कि मामले में अभियोजन पक्ष के 208 गवाह, 171 दस्तावेज और फॉरेसिंक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की 27 रिपोर्ट हैं।

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सर्वोच्च अदालत ने पिछले महीने सत्र अदालत से पूछा था कि उस अदालत में अन्य लंबित या प्राथमिकता वाले मुकदमों की समय-सारणी से समझौता किए बिना लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई पूरी करने में सामान्य तौर पर कितना समय लगने की संभावना है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन की पीठ ने सत्र अदालत के न्यायाधीश से मिली रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, “रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य परिस्थितियों में पांच साल लग सकते हैं। इसमें कहा गया है कि मामले में 208 गवाह, 171 दस्तावेज और 27 एफएसएल रिपोर्ट हैं।” पीठ अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों को एसयूवी से कुचलने के मामले में आशीष मिश्रा की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता से इस बात की पुष्टि करने को कहा कि क्या घटना में किसानों को कथित रूप से रौंदने वाली एसयूवी में सवार तीन लोगों की हत्या के मामले में दर्ज एक अलग मुकदमे में नामजद चार आरोपी अभी भी हिरासत में हैं।

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इससे पहले, किसानों की हत्या के मामले में शिकायतकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से आग्रह किया कि वह इस मामले की सुनवाई किसी अन्य दिन के लिए निर्धारित करे क्योंकि इस मामले के मुख्य पैरवीकार अधिवक्ता दुष्यंत दवे अस्वस्थ हैं। पीठ ने राज्य सरकार के वकील से किसानों को रौंदने वाली एसयूवी में सवार तीन लोगों की हत्या के मामले में दर्ज एक अलग मुकदमे की स्थिति के बारे में बताने को कहा। जवाब में, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए जा चुके हैं। पीठ ने कहा, “हम बस यह जानना चाहते हैं कि क्या उस मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है?” इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। आशीष मिश्रा की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि सत्र न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत को एक रिपोर्ट भेजी है। भूषण ने कहा कि इस मामले में रोजाना के आधार पर सुनवाई किए जाने की जरूरत है। जब उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ गवाहों पर हमला किया गया था और उन्हें पीटा गया था, तो रोहतगी ने आपत्ति जताते हुए कहा, “यह पूरी तरह से झूठ है।”

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पीठ ने कहा, “हमें यह जानना है कि कि प्राथमिकी संख्या 220/2021 (अलग मामला) में कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया और क्या वे अभी भी हिरासत में हैं।” रोहतगी ने कहा, “यह हमारा मामला है और इसमें हमारे काफिले पर हमला किया गया... यह भीड़ की हिंसा का मामला है। लोगों को हमारे वाहन से बाहर खींचा गया और उनमें से तीन की मौत हो गई।” पीठ ने कहा कि अंततः बड़े हित और बड़े मुद्दे को ध्यान में रखना होगा और समय का निर्धारण कभी-कभी अभियोजन पक्ष के मामले में गंभीर पूर्वाग्रह पैदा कर सकता है। किसानों को कुचलने के मामले में आरोपी के प्रभावशाली होने की दलील देते हुए भूषण ने सुझाव दिया कि शीर्ष अदालत सत्र न्यायालय को दैनिक आधार पर सुनवाई कर सकती है। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता ने शीर्ष अदालत में दायर जवाबी हलफनामे में मामले का आरोप पत्र संलग्न किया है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तारीख तय की।

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गौरतलब है कि तीन अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में उस दौरान हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जब किसान उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र में दौरे का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के मुताबिक, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा भी सवार था। घटना से आक्रोशित किसानों ने एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। हिंसा में एक पत्रकार भी मारा गया था। पिछले साल छह दिसंबर को निचली अदालत ने लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में मिश्रा और 12 अन्य के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य अपराधों में आरोप तय किए थे, जिससे सुनवाई की शुरुआत का रास्ता साफ हो गया था। मामले के अन्य आरोपियों में अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ ​​सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडेय, लवकुश राणा, शिशु पाल, उल्लास कुमार उर्फ ​​मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं। सभी आरोपी फिलहाल जेल में हैं।

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