Saturday, Apr 01, 2023
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lakhmimpur khiri violence: petition filed in supreme court against ashish mishra bail rkdsnt

लखीमपुर हिंसा : आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

  • Updated on 2/17/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करके केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने का अनुरोध किया गया है, जिसे लखीमपुर खीरी ङ्क्षहसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उक्त घटना में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के गत 10 फरवरी के आदेश को रद्द करने के अनुरोध वाली एक पत्र अर्जी पर दर्ज स्वत: संज्ञान मामले में अधिवक्ताओं शिव कुमार त्रिपाठी और सी एस पांडा द्वारा एक आवेदन दाखिल किया गया है। 

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उन्होंने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राकेश जैन के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) और अभियोजन पक्ष और उत्तर प्रदेश पुलिस से यह सवाल करने का अनुरोध किया गया है कि चीजों में देरी क्यों की जा रही है। साथ ही इसमें यह भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि आरोपपत्र वाली रिपोर्ट की एक प्रति प्रस्तुत की जाए। अर्जी में कहा गया है कि जमानत आदेश में 'स्पष्ट त्रुटि' है क्योंकि उच्च न्यायालय ने एक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए ‘‘हो सकता है’’ शब्द का उपयोग किया और कहा कि हो सकता है कि उक्त अपराध चालक द्वारा खुद को बचाने के लिए गति बढ़ाने के चलते हुआ हो। 

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इसमें कहा गया है, ‘‘उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने जो फैसला दिया है वह कानून के लिहाज से टिकाऊ नहीं है क्योंकि उन्होंने इस पर ठीक तरह से विचार नहीं किया और प्रत्यक्ष साक्ष्य के समर्थन के बिना ‘‘हो सकता है’’ का सहारा लिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गत 10 फरवरी को आशीष मिश्र को जमानत दे दी थी जो पिछले चार महीने से हिरासत में था। पिछले साल 3 अक्टूबर को, लखीमपुर खीरी में ङ्क्षहसा के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई थी। उक्त घटना उस समय हुई थी जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे। चार किसान एक एसयूवी से कुचले गए थे। गुस्साए किसानों ने एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। 

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उक्त हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी, जिसके बाद केंद्र के अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों पर विरोध करने वाले विपक्षी दलों और किसान समूहों के बीच आक्रोश उत्पन्न हो गया था।      पिछले साल 17 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था। 

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यह कहते हुए कि इस तरह के अपराधों की जांच करते हुए, 'न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि यह दिखना चाहिए और लोगों द्वारा यह माना जाना चाहिए कि न्याय हुआ है', मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण के नेतृत्व वाली पीठ ने एसआईटी के पुनर्गठन और उसमें आईपीएस अधिकारियों - एस बी शिराडकर, पद्मजा चौहान और प्रीतिंदर सिंह को शामिल करने का आदेश दिया था। 

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