Tuesday, Oct 03, 2023
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चारा घोटाला: लालू को हुई साढ़े तीन साल की जेल, जमानत के लिए जाना होगा HC

  • Updated on 1/6/2018

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। रांची की एक सीबीआई अदालत ने नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की आज सजा सुनाई।

अदालत ने लालू के दो पूर्व सहयोगियों लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद एवं बीस लाख रुपये के जुर्माने एवं बिहार के पूर्व मंत्री आर के राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा सुनायी।  

फैसला आने के बाद लालू के पुत्र और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पटना में कहा कि हम लालू प्रसाद की दोषसिद्धि के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और अदालत के फैसले का अध्ययन करने के बाद अपील दायर करेंगे।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, आर के राणा, जगदीश शर्मा एवं तीन वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारियों समेत 16 अभियुक्तों की सजा पर विशेष सीबीआई अदालत का फैसला आज शाम साढ़े चार बजे आया। अदालत ने सजा की घोषणा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की और सभी अभियुक्तों को बिरसामुंडा जेल में ही वीडियो लिंक से अदालत के सामने पेश कर सजा सुनायी गयी।

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इससे पूर्व आज दिन में दो बजे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव एवं राजद के दूसरे नेता आर के राणा एवं अन्य सभी आरोपियों की पेशी सजा सुनने के लिए जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से करने के निर्देश दिये थे।

अपने आदेश के लिए अदालत ने शाम चार बजे का समय निर्धारित किया था। अदालत ने सजा के बिंदु पर कल लालू के वकीलों की बहस सुनी जिसमें उन्होंने बार बार उनकी लगभग सत्तर वर्ष की उम्र होने और बीमार होने की दुहाई दी थी।अदालत ने एक-एक कर बाद में अन्य शेष सात अभियुक्तों की भी सजा के बिन्दु पर उनकी उपस्थिति में बहस सुनी थी।

क्या था मामला?

बता दें कि लालू प्रसाद यादव को देवघर कोषागार से अवैध तरीके से पैसे निकालने के मामले में दोषी करार दिया गया था। लालू को धारा 420 120 बी और पीसी एक्ट की धारा 13(2) के तहत दोषी करार दिया था।

रांची की विशेष अदालत सीबीआई अदालत ने इसी मामले में बिहार के एक पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद और पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र और साधना सिंह को बरी कर दिया था।

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