Monday, Jun 05, 2023
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laxmi vilas palace case arrest warrant against 3 accused including pradeep baijal droped by court

लक्ष्मी विलास पैलेस मामला: बैजल समेत 3 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट पर लगाई रोक

  • Updated on 9/22/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) ने उदयपुर में आईटीडीसी के स्वामित्व वाले लक्ष्मी विलास होटल (Laxmi Vilas Hotel) की बिक्री में सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोपी पूर्व विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल (Pradeep Baijal) व दो अन्य आरोपियों के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर मंगलवार को रोक लगा दी है। आरोपियों के एक वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत को निर्देश दिया कि आरोपियों को जमानती वारंट के जरिये तलब किया जाए। 

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निचली अदालत ने पिछले हफ्ते पूर्व केंद्रीय विनिवेश मंत्री अरुण शौरी, विभाग के सचिव प्रदीप बैजल, लजार्ड इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आशीष गुहा, दाम लगाने वाले कांतिलाल कर्मसे और भारत होटल की निदेशक ज्योत्सना सूरी के खिलाफ दो दशक पहले हुई बिक्री के लिये प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिये थे। उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ ने मंगलवार को यह आदेश बैजल, गुहा और सूरी की याचिका पर दिया जिसमें उन्होंने निचली अदालत के निर्देश को चुनौती दी थी। 

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एक वकील ने कहा, 'हमने दलील दी कि आरोपियों को पहली बार में गिरफ्तारी वारंट के जरिये समन नहीं किया जा सकता।’’ अरुण शौरी ने भी गिरफ्तारी वारंट पर रोक के लिये उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी लेकिन उनकी याचिका अभी सूचीबद्ध नहीं हुई है। पांचवें आरोपी और मूल्यांकन करने वाली कंपनी कांति कर्मसे एंड कंपनी के मालिक कांतिलाल कर्मसे ने अभी उच्च न्यायालय में याचिका दायर नहीं की है। शौरी, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में विनिवेश मंत्री थे, जब सार्वजनिक क्षेत्र के भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के स्वामित्व वाली उदयपुर की संपत्ति एक निजी कंपनी भारत होटल्स लिमिटेड को बेच दी गई थी। 

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पिछले बुधवार के आदेश में, सीबीआई अदालत ने अगस्त 2019 में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा मामले में प्रस्तुत क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और एजेंसी से मामले की फिर से जांच करने के लिए कहा था। होटल को 7.52 करोड़ रुपये में बेचा गया था।

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सीबीआई की प्रारंभिक जांच के दौरान, इसका मूल्य 252 करोड़ रुपये आंका गया था, जिससे सरकारी खजाने को 244 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया था। सीबीआई ने 13 अगस्त 2014 को एक मामला दर्ज किया था, जिसमें कहा गया था विनिवेश विभाग के कुछ अज्ञात अधिकारियों ने 1999-2002 के दौरान एक निजी होटल व्यवसायी के साथ मिलकर होटल का पुर्निनर्माण किया और फिर इसे काफी कम कीमत पर बेच दिया गया।

 

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