Thursday, Jun 08, 2023
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Lieutenant Governor VK Saxena stand in High Court case aap Jasmine Shah DDCD

डीडीसीडी के जैस्मीन शाह के मामले पर उपराज्यपाल ने हाई कोर्ट में रखा अपना पक्ष

  • Updated on 3/29/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिल्ली के उपराज्यपाल ने बुधवार को उच्च न्यायालय से कहा कि उसे डीडीसीडी के उपाध्यक्ष पद से जैस्मीन शाह को हटाने के मामले में ‘पूर्व फैसला' नहीं करना चाहिए और इस मुद्दे पर राष्ट्रपति के फैसले का इंतजार करना चाहिए। उपराज्यपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह के समक्ष कहा कि शाह को हटाये जाने का मामला राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है और इस मामले में इस चरण में अदालत के आदेश से ‘संविधान की प्रणाली बिगड़ेगी'। अदालत शाह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली सरकार के निदेशक (योजना) द्वारा जारी 17 नवंबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

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उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अनुरोध किया था कि शाह को दिल्ली के संवाद और विकास आयोग (डीडीसीडी) के उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया जाए। इसी आधार पर निदेशक ने आदेश जारी किया था। इसके बाद मामले के लंबित रहने तक कार्यालय का इस्तेमाल करने समेत अन्य सुविधाओं का लाभ उठाने से शाह को रोक दिया गया।

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इसके बाद डीडीसीडी कार्यालयों को पिछले साल 17 नवंबर की ही रात को सील कर दिया गया था ताकि ‘शाह द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए इसके कथित दुरुपयोग' को रोका जा सके। न्यायमूर्ति सिंह ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 मई की तिथि मुकर्रर की है और कहा कि इस बीच राष्ट्रपति का फैसला आ सकता है। जैन ने कहा कि याचिका समय से पहले दाखिल की गई है और राष्ट्रपति के समक्ष रखने के लिए यह मामला केंद्र को भेजा गया है।

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इससे पहले शाह के वकील ने कहा कि इस मामले को राष्ट्रपति को भेजना कानून के अनुरूप नहीं है और मौजूदा परिदृश्य में नियुक्ति के मामले मुख्यमंत्री के क्षेत्राधिकार में आते हैं। यह भी दलील दी गई कि मुख्यमंत्री ने शाह को हटाने का समर्थन नहीं किया और मंत्रिपरिषद से बिना सलाह किये उपराज्यपाल मामले को राष्ट्रपति को नहीं भेज सकते। शाह को दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्ज मिला हुआ था और इसी के अनुरूप उन्हें आवास, वाहन, कार्यालय, स्टाफ और अन्य सुविधाएं मिलती थीं।

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