Sunday, Sep 24, 2023
-->
malegaon blast mukul rohatgi filed plea to save accused lieutenant colonel prasad purohit rkdsnt

मालेगांव विस्फोट: आरोपी पुरोहित को बचाने को मुकुल रोहतगी ने दायर की याचिका

  • Updated on 9/4/2020


नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। मालेगांव में 2008 में हुए विस्फोट के मामले (Malegaon Blast Case) के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (Lieutenant Colonel Prasad Purohit) ने बंबई उच्च न्यायालय में ताजा याचिका दायर कर अपने खिलाफ लगे आरोपों को निरस्त करने का आग्रह किया है। उनके वकील एवं पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने शुक्रवार को अदालत से कहा कि पुरोहित सेना के खुफिया अधिकारी के रूप में काम कर रहे थे और उन्हें ‘‘फंसा’’ दिया गया। 

शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं ने कंगना रनौत के खिलाफ खोला मोर्चा, किया प्रदर्शन

याचिका में यह भी कहा गया कि पुरोहित सेवारत सैन्य अधिकारी थे, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उन पर मुकदमा चलाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत पूर्व अनुमति नहीं ली। जस्टिस एस एस शिन्दे और न्यायमूॢत एम एस काॢणक की खंडपीठ के समक्ष रोहतगी ने कहा कि पुरोहित सेना की खुफिया इकाई में काम कर रहे थे। वह 2008 के मालेगांव विस्फोट से पहले खुफिया अधिकारी के रूप में ‘‘अपना दायित्व निभाते हुए’’ साजिश रचने संबंधी बैठकों में शामिल हुए। 

सुशांत जांच मामला: हाई कोर्ट की हिदायत के बाद CBI ने भी मीडिया को किया अलर्ट

उन्होंने दलील दी कि इसलिए एनआईए को पुरोहित पर मुकदमा चलाने के लिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत पूर्व अनुमति लेनी चाहिए थी। लोकसेवक पर मुकदमा चलाने के लिए धारा 197 के तहत सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता होती है। रोहतगी ने दलील दी कि सेना ने उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद 2017 में पुरोहित को नौकरी पर बहाल कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अपने जमानत आदेश में रेखांकित किया था कि पुरोहित ने अपना दायित्व निभाने के रूप में साजिश संबंधी बैठकों में हिस्सा लिया। 

मायावती ने योगी सरकार पर लगाया ब्राह्मण, दलित और मुसलमानों के उत्पीड़न का आरोप

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘उनका (पुरोहित) काम धार्मिक चरमपंथियों की बैठकों में घुसने और फिर उसकी खबर सेना को देने का था। उन्हें मामले में फंसा दिया गया और उन्होंने उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने तक आठ साल जेल में गुजारे।’’ एनआई ने अपने हलफनामे में पुरोहित की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि साजिश संबंधी बैठकों में शामिल होते समय पुरोहित सेना के लिए काम नहीं कर रहे थे, इसलिए मुकदमे के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज के खिलाफ यौन उत्पीड़न आरोपों की जांच पर लगाई रोक

एनआईए ने कहा कि निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने पूर्व में आरोपमुक्त करने का आग्रह करने वाली पुरोहित की याचिका को खारिज कर दिया था। इसी तरह की राहत मांगने वाली एक और अपील उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है, इसलिए वह ताजा याचिका दायर नहीं कर सकते। उच्च न्यायालय ने पुरोहित के वकीलों को एनआईए के हलफनामे का जवाब देने के लिए समय प्रदान करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तारीख निर्धारित की। 

 

 

 

कोरोना से जुड़ी बड़ी खबरों को यहां पढ़ें...

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।

comments

.
.
.
.
.