नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने राज्य में 119 शरणार्थी कॉलोनियों को नियमित कर दिया और कहा कि वहां रहने वाले लोग भारतीय हैं तथा उनकी नागरिकता ‘‘नहीं छीनी जा सकती।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें नए सिरे से नागरिकता हासिल करने की जरूरत नहीं है। विभाजन और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लाखों हिंदू और मुस्लिम विस्थापित होकर पश्चिम बंगाल आए थे।
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बनर्जी ने यहां एक जनसभा में कहा, ‘‘वे सभी भारतीय हैं। कोई भी शरणाॢथयों की नागरिकता नहीं छीन पाएगा। उन्हें नए सिरे से नागरिकता देने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप सभी इस देश के नागरिक हैं ...भाजपा के झूठे बयानों से गुमराह न हों।’’ उन्होंने कहा कि लोगों के पास आवासीय पते का सबूत, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड और उन्हें भाजपा के नागरिकता प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।
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उन्होंने कहा, ‘आपने देखा कि वे सभी शरणार्थी जो बांग्लादेश से आए, वे सभी नागरिक हैं...उन्हें नागरिकता मिली। आपको फिर से नागरिकता के लिए आवेदन देने की जरूरत नहीं है। आप प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री, जिला परिषद के चुनाव में अपने वोट दे रहे हैं...अब वे कह रहे हैं कि आप नागरिक नहीं हैं। आप सभी इस देश के मूल नागरिक हो।’’
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बनर्जी ने कहा कि वह बंगाल से एक भी व्यक्ति को बाहर निकालने नहीं देंगी। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा कि उनकी सरकार पिछड़े वर्गों के विकास के लिए सब कुछ कर रही है। उन्होंने असम में भाजपा सरकार पर बड़ी संख्या में मूल बंगालियों, राजबोंग्शी और मुस्लिम नागरिकों को राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) से बाहर करने का भी आरोप लगाया।
जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में नहीं हो देरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अधिकारियों को जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में देरी नहीं करने के निर्देश दिए हैं। उत्तर दिनाजपुर जिले में यहां प्रशासनिक समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि अगर किसी परिवार के एक भी सदस्य के पास जाति प्रमाण-पत्र है तो दूसरी पीढ़ी के आवेदकों के लिए इसी तरह का प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया आवेदन एवं अन्य जरूरी कागजात प्राप्त होने के एक माह के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए।
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बनर्जी ने बैठक में कहा, 'अगर परिवार की दूसरी पीढ़ी का सदस्य जाति प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन कर रहा है तो कोई जांच-पड़ताल नहीं होगी। उन्हें जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में एक माह से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए।' उन्होंने कहा कि अधिकारियों को आवेदकों को प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए जरूरी दस्तावेजों को अपलोड करने की सलाह भी देनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने आवेदकों की मदद के लिए इस संबंध में एक एप्प भी शुरू करने का निर्देश दिया।
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