नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार आगामी दो-दिवसीय विधानसभा सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पेश करके केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों का विरोध करेगी और उन्हें निरस्त करने की मांग करेगी। यह बात राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री ने सोमवार को कही। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि विधानसभा का सत्र 27 जनवरी से शुरू होगा और 28 जनवरी को दूसरे हिस्से के दौरान प्रस्ताव को नियम 169 के तहत पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विषय पर दो-ढाई घंटे तक चर्चा होगी।
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अभी तक पांच गैर-भाजपा शासित राज्य- पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और दिल्ली- ने केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित किए हैं। दिन के दौरान विधानसभाध्यक्ष बिमान बनर्जी ने अपने कक्ष में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। राज्य सरकार का एक संयुक्त प्रस्ताव के लिए कांग्रेस और वाम मोर्चे को साथ लाने का प्रयास विफल हो गया क्योंकि विपक्षी पाॢटयां इसे नियम 185 के तहत लाना चाहती थीं। चटर्जी ने कहा, ‘‘वे इसी प्रस्ताव को नियम 185 के तहत लाना चाहते थे। एक ही मुद्दे पर दो प्रस्ताव दो अलग-अलग नियमों के तहत लाने का क्या मतलब है? जब सरकार एक प्रस्ताव दे चुकी और उम्मीद है कि इसे स्वीकार कर लिया जाएगा।’’
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नियम 169 के तहत, सरकार विधानसभा में एक प्रस्ताव देती है, जबकि नियम 185 के तहत कोई भी पार्टी सदन में प्रस्ताव पेश कर सकती है। विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नन ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार के पास केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने भी कुछ साल पहले इसी तरह के कानून पारित किए थे।
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उन्होंने कहा, ‘‘जब तक टीएमसी सरकार उन कानूनों को वापस नहीं लेती है, जो उसने कुछ साल पहले पारित किये थे, तब तक केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव लाने का कोई मतलब नहीं है। हमने जो प्रस्ताव पेश किया था, उसमें वे बिंदु थे लेकिन राज्य प्रशासन स्वीकार करने को तैयार नहीं था।’’ वाम मोर्चा और कांग्रेस ने हालांकि कहा कि वे चर्चा में हिस्सा लेंगे और सदन में अपने विचार रखेंगे। भाजपा विधायक दल के नेता मनोज तिग्गा ने कहा कि उनकी पार्टी प्रस्ताव का विरोध करेगी। प्रस्ताव के अलावा, कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना और जीएसटी से संबंधित मुद्दों से संबंधित दो विधेयक पेश किए जाएंगे।
कांग्रेस, वामदल 2016 में जीती हुई सीटें अपने पास रखेंगे कांग्रेस और वाम दलों ने सोमवार को फैसला किया कि पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव में वे 2016 के चुनाव में जीती हुयी सीटों को अपने-अपने पास रखेंगे। वाम-कांग्रेस गठबंधन ने 2016 में 77 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें से कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आज हमने फैसला किया कि हम 44 और 33 सीटें अपने-अपने पास रखेंगे जिसपर कांग्रेस और वाम दल को जीत मिली थी। बाकी की 217 सीटों को लेकर चर्चा चल रही है।’’
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उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस महीने के अंत तक सीट बंटवारा समझौते का काम पूरा हो जाएगा। पश्चिम बंगाल वाम मोर्चा के अध्यक्ष और माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य बिमान बोस ने कहा कि संयुक्त प्रचार अभियान पर भी चर्चा हुई। जिस बैठक में यह फैसला हुआ उसमें बोस भी मौजूद थे। पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस साल अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है।
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