नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस (Corona Virus) से निजात पाने के लिए कई देश आपसी दुश्मनी भुला कर साथ आए हैं। इन देशों के वैज्ञानिक एक-दूसरे से डेटा साझा करते रहे हैं। दुनिया में वैक्सीन लाने के लिए जिन चार लोगों ने पहले mRNA वैक्सीन को लाना संभव किया वो अलग-अलग क्षेत्र के जाने-माने दिग्गज हैं।
इन दिग्गजों में तुर्की और ग्रीस के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। तुर्की और ग्रीस देशों के बीच फैला तनाव किसी से छुपा नहीं है लेकिन विश्व को कोरोना से बचाने के लिए मतभेद भुला कर सभी वैज्ञानिक एक हो गए हैं। आइए जानते हैं उन वैज्ञानिकों के बारे में…
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कैटालिन कारिको यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया ने 1995 में अपने एक प्रोफेसर को डिमोट कर दिया था। ये प्रोफेसर कैटालिन कारिको (Katalin Kariko) थीं। कारिको उस वक्त mRNA पर रिसर्च करने में लगी हुई थीं।
फाइजर और मॉडर्ना की दो सबसे प्रभावकारी वैक्सीन कैटालिन कारिको की रिसर्च तकनीक पर ही आधारित हैं। उनकी इस रिसर्च के कारण ही अब उन्हें उनके पूर्व सहयोगी तक कारिको को रसायन का नोबेल प्राइज देने की मांग करने लगे हैं। कारिको को बड़े संघर्षों के बाद यह सफलता मिली है।
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उर साहिन वहीँ, तुर्की के उर साहिन (Ugur Sahin) और उनकी पत्नी ओजलोम टुरैसी पहले वैज्ञानिक उद्यमी हैं। भले ही वैज्ञानिक साहिन एक छोटे से अपार्टमेंट में रहते हैं और साइकिल से अपने काम पर जाते हैं लेकिन साहिन एक डॉक्टर हैं और ट्यूमर सेल में इम्युनोथेरेपी पर रिसर्च की हुई है।
शुरूआत में दोनों पति पत्नी कैंसर के इलाज के लिए मोनोकोलेन ऐंटीबाडी पर रिसर्च कर रहे थे लेकिन बाद में उन्होंने mRNA तकनीक पर रिसर्च करना शुरू कर दी। जिसका इस्तेमाल अब कोरोना वैक्सीन के लिए किया जा रहा है।
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ओजलोम टुरैसी जर्मनी में पली-बढ़ी ओजलोम टुरैसी (Ozlem Tureci) नन बनने का सपना देखती थीं लेकिन बाद में उन्होंने मेडिसिन की पढ़ाई शुरू की और फिर उनकी मुलाकात साहिन से हुई। दोनों पति-पत्नी का काम के लिए काफी जुनूनी थे इसलिए शादी के ठीक बाद वे लैब में रिसर्च के लिए चले गए थे।
टुरैसी ने भी अपने पति साहिर के साथ मिलकर mRNA पर रिसर्च किया। वैसे बताया जाता है कि टुरैसी के पिता एक भौतिक विज्ञानी थे।
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अल्बर्ट ब्रुला अल्बर्ट ब्रुला (Albert Bourla) ग्रीस में रहते हैं और फाइजर के CEO और महशूर इम्युनोजिस्ट हैं। उन्होंने अपने 25 साल इस कंपनी को दिए हैं। उन्होंने कोरोना वैक्सीन के लिए सरकार से पैसा लेने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने अपने वैज्ञानिकों को शोध करने की छूट दी और बोयनटेक के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन को तैयार किया। दरअसल वो नहीं चाहते थे कि वैक्सीन को लेकर राजनीति हो इसलिए उन्होंने पैसा लेना सही नहीं समझा।
क्या है mRNA तकनीक इस तकनीक के द्वारा शरीर के अंदर बॉडी सेल को प्रोटीन बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसके साथ ही तंत्रिका तंत्र को इस तकनीक के जरिए जरूरी प्रोटीन मिलता है। mRNA वैक्सीन में रियल वायरस की जरूरत नहीं होती है इसलिए इसे दूसरी वैक्सीन की तुलना में ज्यादा जल्दी बनाया जा सकता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
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