Saturday, Dec 09, 2023
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प्रवासी मजदूरों की घर वापसी नहीं होगी आसान, राज्य सरकारों को बेलने पड़ेंगे कई पापड़

  • Updated on 5/1/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। लॉकडाउन की वजह से कई राज्यों में फंसे मजदूरों की घर वापसी के लिए भले ही सरकार ने हामी भर दी है। लेकिन राज्यों के लिए अब यही पलायन बड़ी मुसीबत बन गया है। अचानक से लाखों लोगों को घर बुलाना, उनकी सुरक्षा और कोरोना से बचाव को देखना राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती जैसा है।

राज्य सरकारों के लिए अब सबसे बड़ी मुसीबत है कि कैसे वो अपने राज्य के मजदूरों को कोरोना संक्रमण से बचाते हुए सुरक्षित घर ला पाएं। सरकार ने आदेश तो दिए साथ में नियम भी लागू किए है और नियमों को पूरा किए बिना किसी की घर वापसी संभव नहीं हो पायेगी।

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क्या है मुख्य समस्या
राज्य सरकारों को मजदूरों की घर वापसी से पहले उनका पंजीकरण, वाहनों का इंतजाम, स्क्रीनिंग समेत तमाम जरूरी बंदोबस्त करने होंगे। सबसे बड़ी मुसीबत ऐसे समय में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की है, जो पहले और हर बार चुनौती भरा टास्क रहा है।

राज्य सरकारें यही सोच रही हैं कि इसका पालन किस तरह से कराया जायेगा। इसके अलावा घर लौटने वाले मजदूरों को क्वारंटीन करना भी जरुरी होगा, ऐसे में अगर एक साथ बड़ी संख्या में लोग लौटेंगे तो राज्यों के लिए बड़े लेवल पर इसकी व्यवस्था करा पाना संभव नहीं हो सकेगा।

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क्या कर रहे हैं बिहार के सीएम
इस बारे में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने स्पेशल ट्रेन चलाने की केंद्र सरकार से मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार जैसा राज्य अपने 27 लाख मजदूरों को महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों से घर वापस लाने में सक्षम नहीं हैं।

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कैसी है यूपी सीएम की तैयारी
यूपी सीएम ने वापसी कर रहे लोगों को 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटीन में रखने का आदेश दिया है। वहीँ, मजदूरों को राज्य में लाने की अभी तैयारी की जा रही है। सरकार के अनुसार, राज्यों से लौट रहे मजदूरों को अपने राज्य के बॉर्डर से रिसीव करने की योजना है या फिर ऐसा भी किया जा सकता है कि अलग-अलग राज्यों में परिवहन निगम की बसों को भेजकर मजदूरों को वापस लाया जायेगा।

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महाराष्ट्र में ऐसे हैं हालात
वहीँ, इस बारे में महाराष्ट्र सरकार ने गाइडलाइन जारी की है। सरकार का आदेश है कि प्रदेश में रहने वाले लोग बिना जिला कलेक्टर के आदेश के जिले से बाहर नही जायेंगे और न ही कलेक्टर की अनुमति के बिना किसी व्यक्ति की जिलों में एंट्री होगी। अगर कोई बाहर जाता है तो उसके पास वाहन पास होंगे जिस पर उसकी सारी जानकारी होगी।

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गुजरात में कलेक्टरों को दिए अधिकार
उधर, गुजरात सरकार ने मजदूरों को वापस भेजने की पूरी जिम्मेदारी और इसका पूरा प्राधिकार जिला कलेक्टर को दे दिया है। यहां मजदूरों को उनके राज्यों में भेजने से पहले उनका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा और वेरिफिकेशन के बाद पास इशू किए जाएंगे। गुजरात में 5 से 7 लाख प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। बता दें, यही सिस्टम असम और मध्य प्रदेश सरकारों ने भी आजमाया है।

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