नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत और चीन के बीच मची तनातनी को देखते हुए अमेरिका अब सतर्क हो गया है। इस बीच दक्षिण पूर्व एशिया में बढ़ रहे चीनी खतरे को देखते हुए अमेरिका यूरोप में अपने सैनिकों को कम कर दक्षिण एशिया में बढ़ा रहा है।
इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ब्रसेल्स फोरम के आभासी सम्मेलन में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया है। हालांकि उन्होंने इस बारे में साफ तौर पर ज्यादा कुछ नही कहा लेकिन जिस तरह से उन्होंने भारत और बाकी देशों को लेकर संकेत दिए उससे ये साफ़ हो जाता है कि अमेरिका चीनियों के धोखे से बचना चाहता है।
अमेरिका है तैयार पोम्पियो से पूछा गया कि अमेरिका ने जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या में कमी क्यों कर दी है? तो उन्होंने जवाब में कहा कि "अमेरिकी सैनिकों को अन्य स्थानों पर चुनौतियों का सामना करने के लिए भेजा जा रहा है, क्योंकि चीन की हालिया हरकतों का मतलब है कि भारत और वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस जैसे देशों और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में खतरा बढ़ने लगा है। हमारे समय की चुनौतियों का पूरी तरह सामना करने के लिए अमेरिकी सेना उचित रूप से तैनात है।"
भारत के साथ खूनी झड़प भारत के साथ खूनी झड़प को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि ये बीजिंग की दक्षिण चीन सागर गतिविधि और उसकी शिकारी आर्थिक नीतियों का सबूत है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका इस खतरे को लेकर सतर्क है।
The Chinese Communist Party is behaving in ways that fundamentally put the American people’s security at risk. The @realDonaldTrump Administration is the first in decades to take this threat seriously. — Secretary Pompeo (@SecPompeo) June 24, 2020
The Chinese Communist Party is behaving in ways that fundamentally put the American people’s security at risk. The @realDonaldTrump Administration is the first in decades to take this threat seriously.
ट्रंप ने की समीक्षा पोम्पियो ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने दो साल पहले रणनीतिक समीक्षा की थी और सामने आने वाले खतरों के लिए एक बुनियादी रणनीति बनाई थी। इसमें यह तय हुआ कि तरह अपने संसाधनों को आवंटित करना है, जिसमें खुफिया और सैन्य और साइबर संसाधन शामिल हो।
अमेरिका-यूरोपीय संवाद तंत्र अमेरिका की तरफ से चीन पर अमेरिका-यूरोपीय संवाद तंत्र के गठन की घोषणा की गई थी ताकि अटलांटिक गठबंधन को चीनियों द्वारा पैदा किए गए खतरे की आम समझ हो सके और जो भी यहां कार्यवाई होगी वो जमीनी तौर पर परिस्थितियों और वास्तविकता को देख कर होगी।
इस बारे में पोम्पियो ने कहा कि समय कहता है कि दोनों पक्षों को चीन की कार्रवाई पर एक सामूहिक सूचना संग्रह तैयार करने की जरूरत है, ताकि एक साथ चीन पर कार्रवाई की जा सके।
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