नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सशस्त्र बलों के भूतपूर्व सैनिकों ने अग्निपथ योजना पर मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसके तहत थल सेना, नौसेना और वायुसेना में संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी। इसका उद्देश्य बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक में इस योजना को मंजूरी मिलने के थोड़ी देर बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया के समक्ष इसका ऐलान किया।
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लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) विनोद भाटिया ने कहा, ‘‘अग्निपथ योजना या ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ जांची परखी नहीं है, कोई प्रायोगिक परियोजना नहीं, सीधे कार्यान्वयन किया जा रहा है। इससे समाज का सैन्यीकरण होगा, साल-दर-साल लगभग 40,000 (75 प्रतिशत) युवा नौकरी के बिना खारिज और निराश, हथियारों में अर्ध प्रशिक्षित पूर्व अग्निवीर होंगे। अच्छा विचार नहीं। किसी को फायदा नहीं होगा।’’
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अग्निपथ योजना के तहत नियोजित सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा। सरकार ने कहा कि अग्निवीर सशस्त्र बलों में शुरू में चार साल के लिए काम करेंगे और उनमें से 75 प्रतिशत समय अवधि के अंत में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। 22 साल तक भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में सेवा देने वाले ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) नितिन वेल्डे ने कहा कि इस योजना की आलोचना या सराहना करना जल्दबाजी होगी। मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) बी एस धनोआ ने कहा कि योजना की परिकल्पना और कार्यान्वयन लागत में कटौती को ध्यान में रखते हुए किया गया है, लेकिन यह 21 वीं सदी की सेना में आवश्यक बड़े सुधारों के लिए उत्प्रेरक साबित हो सकता है।
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उन्होंने ट््वीट किया, ‘‘अगर हमारे शीर्ष नेता और राजनीतिक नेता अल्पकालिक लाभ से आगे देखने में सक्षम हैं, तो हम अभी भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।’’ मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) यश मोर ने अग्निपथ योजना की आलोचना करते हुए कहा कि वह सबसे अधिक उन लाखों युवाओं को लेकर (निराशा) महसूस कर सकते हैं, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में भर्ती की सारी उम्मीद खो दी है। मोर ने ट््वीट किया, ‘‘सेवा मुख्यालय भी इसे लागू करने के लिए अनिच्छुक प्रतीत होता है।’’
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मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ योजना पूर्ववर्ती सैन्य परंपरा, लोकाचार, नैतिकता और मूल्यों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सेना की दक्षता और प्रभावशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।’’ लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) पी आर शंकर ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘‘कई वरिष्ठ भूतपूर्व सैनिकों ने अपने अनुभव की सूझबूझ से लिखा है। एक आम आवाज सामने आई है। टूर आफ ड्यूटी अच्छा विचार नहीं लगता। सावधानी से आगे बढ़ें।’’
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