Friday, Sep 22, 2023
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मानहानि मामले में कोर्ट के फैसले से उत्साहित प्रिया रमानी बोलीं- सच्चाई की जीत

  • Updated on 2/17/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर के आपराधिक मानहानि मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को बुधवार को बरी कर दिया। साथ ही, अदालत ने कहा कि एक महिला को दशकों बाद भी किसी मंच पर अपनी शिकायत रखने का अधिकार है। रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाए थे। अकबर ने उन आरोपों को लेकर रमानी के खिलाफ 15 अक्टूबर 2018 को यह शिकायत दायर की थी। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने अकबर की शिकायत यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके (रमानी के) खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं किया जा सका। 

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अदालत ने कहा कि जिस देश में महिलाओं के सम्मान के बारे में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य लिखे गये, वहां महिलाओं के खिलाफ अपराध होना शर्मनाक है। अदालत ने अपने आदेश के खिलाफ अपील किये जाने की स्थिति में रमानी से 10,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करने को कहा। रमानी ने (अदालत के) फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अदालत में सच्चाई की जीत होने पर अच्छा महसूस होता है। 

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उन्होंने कहा, ‘‘अदालत में आरोपी के रूप में पीड़िता को ही खड़ा होना होता है। मेरे से साथ खड़ा रहने वाले सभी लोगों का मैं शुक्रिया अदा करती हूं, खासतौर पर मेरी गवाह गजाला वहाब, जो अदालत में आई और मेरी ओर से गवाही दी।’’ रमानी ने फैसला सुनाए जाने के बाद कहा, ‘‘मैं फैसले के लिए अदालत का शुक्रिया अदा करती हूं और मैं अपनी वकील रेबेका जॉन तथा (उनकी) शानदार टीम को भी धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया और व्यापक हित को ध्यान में रखा। उन्होंने मामले में दिल से साथ दिया।’’ 

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अदालत ने कहा कि समाज में ऊंचा दर्जा रखने वाला व्यक्ति भी यौन उत्पीड़क हो सकता है। वहीं, महिला को अपनी पसंद के किसी भी मंच पर शिकायत रखने का अधिकार है, यहां तक कि दशकों बाद भी। अदालत ने कहा कि ‘ग्लास सीलिंग’ (पुरूष प्रधान व्यवस्था में महिलाओं के आगे बढऩे के दौरान पेश आने वाली मुश्किलें) भारतीय महिलाओं को समान अवसरों के समाज में प्रगति करने में बाधक नहीं बन सकती है। अदालत ने अकबर और रमानी के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद एक फरवरी को अपना फैसला 10 फरवरी के लिए सुरक्षित रख लिया था। 

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हालांकि, अदालत ने 10 फरवरी को फैसला 17 फरवरी के लिए यह कहते हुए टाल दिया था कि चूंकि दोनों ही पक्षों ने विलंब से अपनी लिखित दलील सौंपी है, इसलिए फैसला पूरी तरह से नहीं लिखा जा सका है।  रमानी ने 2018 में सोशल मीडिया पर चली ‘मीटू’ मुहिम के तहत अकबर के खिलाफ यौन दुव्र्यवहार के आरोप लगाए थे। हालांकि, अकबर ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। 

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