नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। देश की संप्रभुता के खिलाफ, महिलाओं और बच्चों से दुर्व्यवहार तथा कानून-व्यवस्था को बिगाडऩे के प्रयासों वाले पोस्ट को रोकने की दिशा में ‘‘समन्वित और समग्र तरीके से’’ साइबर जगत पर नजर रखने में मदद के लिए सरकार ने आम लोगों को साइबर अपराध स्वयंसेवक के तौर पर पंजीकृत कराने को कहा है। केंद्रीय मंत्रालय की इस पहल को इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) नाम दिया गया है। आतंकवाद से प्रभावित जम्मू कश्मीर में पिछले सप्ताह इसकी शुरुआत की गयी, जहां पुलिस ने एक परिपत्र जारी कर नागरिकों से स्वयंसेवक के तौर पर पंजीकृत कराने के लिए कहा है।
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स्वयंसेवकों से भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ, देश की रक्षा, राज्य की रक्षा, मित्र देशों के खिलाफ पोस्ट, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे वाली विषय वस्तु और बाल यौन उत्पीडऩ वाली सामग्री के खिलाफ नजर रखने को कहा गया है। जम्मू कश्मीर पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस कार्यक्रम के साथ कोई भी भारतीय नागरिक साइबर स्वयंसेवकों की तीन श्रेणियों- गैर कानूनी विषयवस्तु पर नजर रखने वाले स्वयंसेवक, साइबर जागरूकता को बढ़ाने वाले या साइबर विशेषज्ञ में से किसी में पंजीकरण कराते हुए इससे जुड़ सकता है।
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पहली श्रेणी से बाल पोर्नोग्राफी, दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, आतंकवाद, कट्टरवाद, देशविरोधी गतिविधियों जैसे अवैध कृत्यों की पहचान में मदद मिलेगी। दूसरी श्रेणी से साइबर जगत में नागरिकों के बीच महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, ग्रामीण आबादी जैसे जोखिम वाले समूहों के बारे में जागरुकता बढ़ाने में सहायता मिलेगी। साइबर विशेषज्ञ की श्रेणी के तहत स्वयंसेवक खास तरह के साइबर अपराध, फॉरेंसिक, नेटवर्क फॉरेंसिक, मालवेयर विश्लेषण, क्रिप्टोग्राफी जैसे विषयों पर मदद करेंगे।
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पहली श्रेणी में पंजीकरण के लिए पहले से सत्यापन की जरूरत नहीं है लेकिन दो अन्य श्रेणियों में स्वयंसेवक बनने के लिए संबंधित राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) शर्तों के तहत पंजीकरण होगा। स्वयंसेवकों को अपना पूरा नाम, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, ई-मेल एड्रेस, आवासीय पता देना होगा। पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्वयंसेवकों के विवरण तक साइबर अपराध पर नोडल अधिकारी तथा केंद्रशासित क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (अपराध शाखा) की पहुंच होगी।
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गृह मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘आई4सी के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में ऐसी व्यवस्था तैयार करना है जिससे अकादमिक, उद्योग, जनता और सरकार के लोग साइबर अपराध का पता लगाने, जांच और अभियान की प्रक्रिया में साथ आए।’’ गृह मंत्रालय के दस्तावेज में स्पष्ट कर दिया गया है कि यह कार्यक्रम पूरी तरह स्वेच्छा पर निर्भर है और इसके लिए कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा और स्वयंसेवी किसी वाणिज्यिक फायदे के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
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