Wednesday, May 31, 2023
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मोदी सरकार ने 2 कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सिर्फ दो वैक्सीन को दी इजाजत - सौरभ भारद्वाज

  • Updated on 5/25/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा शासित केंद्र सरकार ने दो कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सिर्फ दो वैक्सीन को इजाजत दी, यह भारत के लोगों के जीवन से खिलवाड़ है। कोरोना से ज्यादातर मौतें 45 साल से कम उम्र के लोगों की और जिन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई हैं, उनकी हुई है। 

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भाजपा शासित केंद्र सरकार ने देश के लोगों से झूठ बोला कि राज्य ग्लोबल टेंडर कर वैक्सीन खरीद सकते हैं, जबकि कंपनियों का कहना है कि वे केंद्र सरकार की अनुमति के बिना राज्यों को वैक्सीन नहीं दे सकते। आम आदमी पार्टी की मांग है कि केंद्र सरकार युद्धस्तर पर देशभर में वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू करे। उन्होंने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन की सरकार मई 2020 से कंपनियों के साथ वैक्सीन खरीदने को लेकर बातचीत कर रहे थे, तब केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया। 

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ब्रिटेन में 100 में से 88 और अमेरिका में 100 में से 84 लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, जबकि भारत में 100 में से सिर्फ 13 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। इसका मतलब यह है कि संभावित तीसरी लहर में भारत में 83 लोगों की जान जाने का खतरा है। फाइजर की वैक्सीन को 85, मॉर्डना की 46 और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को 41 देश अनुमति दे चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार ने भारत में इनमें से किसी भी कंपनी की वैक्सीन को अनुमति नहीं दी है।  

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आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि इस वक्त देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। इसमें बुजुर्गों, नौजवानों और बच्चों की जान जा रही हैं। सरकारी आंकड़े तो अस्पतालों में मरने वाले लोगों के दिए जा रहे हैं। लेकिन जो लोग घरों, गांवों में मारे जा रहे हैं, उनकी तो गिनती ही नहीं है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश के दूरदराज के कस्बों-गांवों में बीमार होने वाले और मरने वालों की कोई गिनती नहीं है। उनमें से अधिकतर को तो खुद नहीं पता कि उनको कोरोना हो गया है। 

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हालात इतने बदतर हैं कि लाश जलाने के लिए लकड़ियां नहीं मिल रही हैं। ऐसे में लोगों को लाशों को दफनाना पड़ रहा है। गंगा किनारे लाश दबी हुई दिख रही है। लाशों को गंगा में बहाया जा रहा है। जब भी किसी की मृत्यु का संदेश आता है, हम लोग रेस्ट इन पीस लिख देते हैं। यह शब्द अब बेहद खोखले हो गए हैं और लिखते हुए भी शर्म आने लगी है, क्योंकि जिस मां का जवान बेटा गुजरता है, उस मां का दुख हम नहीं समझ सकते हैं। जिस बाप की बेटी नाती-नातिन को छोड़कर गुजर गई, जिन बच्चों के मां-बाप गुजर गए, उनका दुख कोई नहीं समझ सकता। 

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सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर मौतों का आंकलन करें तो पता चलता है कि ज्यादातर मौतें 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों की हुई है। कोरोना से होने वाली मौतों में 99 फीसदी ऐसे लोग हैं, जिनको वैक्सीन की दोनों डोज नहीं मिल पायी हैं। वैक्सीन नहीं लग पाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई है। हमारे सभी वैज्ञानिक कह रहे हैं कि अभी तीसरी लहराने वाली है और वह भयानक होगी। ऐसे में पता नहीं कितने लोग उस लहर के अंदर मरेंगे। कुछ लोग कह रहे हैं कि तीसरी लहर सबसे ज्यादा बच्चों के ऊपर असर करेगी। आप सोचिए कि हमारे देश के छोटे-छोटे बच्चों को हम कैसे बचाएंगे। हम सब सरकारों के लिए एक सवाल है कि जो लोग मर गए उनको बचाया जा सकता था और जो लोग इस तीसरी लहर के अंदर मर सकते हैं, उनको बचाया जा सकता है। इसका सिर्फ एक ही जवाब है कि सबको वैक्सीनेशन दी जाए। 

सौरभ भारद्वाज ने तथ्य पेश करते हुए कहा कि अमेरिका और यूके जैसे देशों ने मई 2020 से वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के साथ निवेश और बातचीत करना शुरू कर दिया था। उनसे वैक्सीन बनने से पहले ही निवेदन कर रहे थे कि इतनी करोड़ वैक्सीन हम खरीद लेंगे। हमारी केंद्र सरकार ने ऐसा कुछ क्यों नहीं किया? यूके के अंदर 100 में 88 लोगों को वैक्सीन लगायी जा चुकी है। अमेरिका के अंदर 100 में से 84 लोगों को वैक्सीन लग गई है। हमारे देश भारत में 100 में से मात्र 13 लोगों को वैक्सीन लगायी गई है। इसका मतलब भारत में 100 में से 87 लोग तीसरी लहर के अंदर कोरोना संक्रमित होने के लिए उपलब्ध हैं।
 
 

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