नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। सरकार ने फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों तथा नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी मंचों का दुरुपयोग रोकने के लिए बृहस्पतिवार को नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की, जिनके तहत उन्हें अधिकारियों द्वारा आपत्तिजनक पाई गई सामग्री को 36 घंटे के भीतर हटाना होगा तथा ऐसा शिकायत समाधान तंत्र स्थापित करना होगा जिसके अधिकारी का निवास भारत में हो। दिशा-निर्देशों के तहत ट्विटर और व्हाट्सऐप जैसे मंचों के लिए यह भी आवश्यक किया गया है कि उन्हें अधिकारियों द्वारा राष्ट्र विरोधी तथा देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता के खिलाफ मानी जाने वाली सामग्री के प्रसार की शुरुआत करने वाले प्रथम व्यक्ति की पहचान उजागर करनी होगी। इस बीच विपक्ष ने इन नियमों को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
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डिजिटल मीडिया और ओटीटी के बारे में नियम मुख्यत: संस्थानिक और स्व-नियमन तंत्र पर केंद्रित हैं जहां पत्रिकारिता संबंधी एवं रचनात्मक स्वतंत्रता को बरकरार रखते हुए एक मजबूत शिकायत समाधन तंत्र उपलब्ध कराया गया है। यह पहली बार है जब देश के भीतर संचालित डिजिटल और ऑनलाइन मीडिया के लिए नियम तय किए गए हैं। किसानों के प्रदर्शन से संबंधित कुछ संदेशों पर सप्ताहों तक सरकार और ट्विटर के बीच चली तकरार के बाद सोशल मीडिया के लिए नियम लाए गए हैं। सरकार ने किसान आंदोलन से संबंधित कुछ सोशल मीडिया संदेशों को हिंसा के लिए जिम्मेदार बताया था।
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केंद्र सरकार ने लगभग 1,500 अकाउंट और संदेशों को हटाने को कहा था जिसका ट्विटर ने दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी के बाद पालन किया था। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को कहा कि सोशल मीडिया के बार-बार दुरुपयोग और फर्जी खबरों के प्रसार को लेकर चिंताएं व्यक्त की जाती रही हैं। प्रसाद ने कहा, ‘‘भारत में कारोबार करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों का स्वागत है...हम आलोचना और असहमति का स्वागत करते हैं...लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों को समयबद्ध तरीके से उनकी शिकायतों के समाधान के लिए एक उचित मंच दिया जाए।’’
- Rising prices - Crashing GDP - Unabated unemployment - Unending farmers' protest - Chinese threat to the nation these are the issues that plague India. Do not let Modi & Co. distract you. pic.twitter.com/rC8ihfu0bh — Congress (@INCIndia) February 25, 2021
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भारत डिजिटल और सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है। प्रसाद ने कहा कि ये कंपनियां दो श्रेणियों-सोशल मीडिया और महत्वपूर्ण सोशल मीडिया की श्रेणी में आएंगी। यह अंतर सोशल मीडिया मंचों का उपयोग करने वालों की संख्या पर आधारित है और सरकार जल्द ही इससे संबंधित जानकारी अधिसूचित करेगी जिससे दोनों में अंतर स्पष्ट होगा। नियमों के तहत ‘महत्वपूर्ण’ सोशल मीडिया कंपनियों को मुख्य अनुपालन अधिकारी, एक नोडल संपर्क व्यक्ति और एक रेजिडेंट शिकायत अधिकारी की नियुक्ति जैसे अतिरिक्त कदम उठाने होंगे। इन सभी तीनों अधिकारियों का निवास भारत में होना चाहिए। ‘महत्वपूर्ण’ सोशल मीडिया कंपनियों को मासिक रूप से एक अनुपालन रिपोर्ट भी प्रकाशित करनी होगी जिसमें प्राप्त शिकायतों, की गई कार्रवाई और हटाई गई सामग्री का विवरण होगा।
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सरकार ने कहा कि ‘महत्वपूर्ण’ सोशल मीडिया कंपनियों को भारत की संप्रभुता, सुरक्षा या लोक व्यवस्था को कमतर करने वाली सूचना की शुरुआत करने वाले प्रथम व्यक्ति की पहचान करनी होगी। कंपनी को हालांकि किसी संदेश की विषय-वस्तु का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस नियम का ट््िवटर और व्हाट््सऐप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। नियमों में यह भी कहा गया है कि जो उपयोगकर्ता स्वेच्छा से अपने अकाउंट का सत्यापन चाहते हैं, उन्हें ऐसा करने के लिए उचित तंत्र दिया जाना चाहिए और सत्यापन का एक चिह्न उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इन नियमों के तहत कंपनी जब स्वयं से किसी सामग्री को हटाएगी तो उसे इसके बारे में उपयोगकर्ता को पूर्व सूचना और स्पष्टीकरण देना होगा। ऐसे मामलों में कंपनी द्वारा की गई कार्रवाई पर दलील प्रस्तुत करने के लिए उपयोगकर्ताओं को पर्याप्त और उचित अवसर प्रदान किया जाएगा।
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सोशल मीडिया से संबंधित नियमों का संचालन इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जाएगा, जबकि डिजिटल मीडिया से संबंधित नियमों का संचालन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय करेगा। ‘ओवर द टॉप’ (ओटीटी) मंचों तथा डिजिटल मीडिया से संबंधित नियमों के बारे में सरकार ने कहा कि नियम चीजों को इंटरनेट पर देखने वालों तथा थिएटर एवं टेलीविजन की दर्शक संख्या में अंतर को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। समाचार प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल मीडिया के लिए एक आचार संहिता और त्रिस्तरीय शिकायत समाधान तंत्र लागू होगा। ओटीटी मंचों को सामग्री को खुद से पांच आयु श्रेणियों-यू (यूनिवर्सल), यू/ए 7+ (वर्ष), यू/ए 13+, यू/ए 16+ और ए (वयस्क) में वर्गीकृत करना होगा। इस तरह के मंचों को अश्लीलता तथा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली सामग्री को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस तरह के मंचों को यू/ए 13+ या इससे अधिक आयु श्रेणी के लिए ‘अभिभावकीय लॉक’ तथा ए श्रेणी में वर्गीकृत सामग्री के लिए आयु सत्यापन तंत्र की व्यवस्था करनी होगी। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन सामग्री के प्रसारकों को किसी खास कार्यक्रम के बारे में रेटिंग वर्गीकरण को प्रमुखता से दिखाना होगा जिसमें सामग्री का वर्णन भी होगा। आधिकारिक बयान में कहा गया कि डिजिटल मीडिया पर समाचार प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारिता संबंधी संहिता के नियमों और केबल टेलीविजन विनियमन नेटवर्क कानून के तहत कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा। जावड़ेकर ने कहा, ‘‘डिजिटल मीडिया पोर्टलों को अफवाह फैलाने का कोई अधिकार नहीं है। मीडिया को पूरी स्वतंत्रता है, लेकिन कुछ उचित प्रतिबंधों के साथ। सामग्री मामले, खासकर मीडिया, ओटीटी और डिजिटल मीडिया संबंधी चीजों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय देखेगा। कंपनी मंचों की निगरानी सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय करेगा।’’
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