नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारत सरकार के महान्यायवादी की राय में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) क्षतिपूर्ति मद में आई कमी को पूरा कर राज्यों को उसका भुगतान करने का केन्द्र सरकार पर कोई दायित्व नहीं है। इस कमी को दूर करने और उसके तौर तरीकों पर कोई भी निर्णय जीएसटी परिषद को लेना होता है। सूत्रों ने यह कहा है। जीएसटी परिषद की मार्च में हुई बैठक के बाद केंद्र ने इस संबंध में सरकार के महान्यायवादी के के वेणुगोपाल से क्षतिपूर्ति कोष में कमी की भरपाई के लिये जीएसटी परिषद द्वारा बाजार से उधारी उठाने को लेकर कानूनी स्थिति पर राय मांगी थी।
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सूत्रों के अनुसार, सरकार के मुख्य कानूनी अधिकारी वेणुगोपाल ने अपनी राय में कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में कमी की भरपाई करना केंद्र सरकार की बाध्यता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कमी की भरपाई करने का रास्ता निकालने के बारे में जीएसटी परिषद को निर्णय लेना है। अगस्त 2019 के बाद से उपकर से संग्रह में कमी आने के बाद राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान करना मुद्दा बन गया। इसके बाद केंद्र सरकार को इसके भुगतान के लिये 2017-18 और 2018-19 में प्राप्त हुये अतिरिक्त उपकर संग्रह का इस्तेमाल करना पड़ा।
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जीएसटी कानून के तहत, राज्यों को एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के पहले पांच वर्षों में राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की गारंटी दी गयी है। इस नुकसान की गणना जीएसटी में 14 प्रतिशत सालाना वृद्धि मानकर की जाती है, जिसके लिये 2015-16 को आधार वर्ष माना गया। केंद्र सरकार को इसके लिये उपकर संग्रह से हर दूसरे महीने राज्यों को क्षतिपूर्ति का भुगतान करना होता है। जीएसटी ढांचे में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत स्लैब के तहत कर लगाया जाता है। जीएसटी की सबसे ऊंची दर पर कर लगने के साथ ही लक्जरी, स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह सामानों पर उपकर लगाया जाता है और उसी से प्राप्त आय का उपयोग राज्यों को किसी भी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है।
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केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में 2019-20 में 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किये थे। हालांकि, 2019-20 के दौरान उपकर संग्रह राशि 95,444 करोड़ रुपये ही थी। इससे पहले 2018-19 में 69,275 करोड़ रुपये और 2017-18 में 41,146 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति भुगतान किया गया था। सूत्रों ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन होने के बाद राजस्व में कमी होने पर संविधान में राज्यों को क्षतिपूर्ति का प्रावधान है।
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एक सूत्र ने कहा, 'हालांकि, प्राकृतिक आपदा, कोविड-19 या आॢथक मंदी जैसे कारणों से नुकसान होने पर संविधान या जीएसटी कानूनों के तहत क्षतिपूर्ति भुगतान की कोई बाध्यता नहीं है, क्योंकि ये कारण जीएसटी के क्रियान्वयन से संबंधित नहीं हैं।' सूत्र ने कहा, केंद्र सरकार को नहीं बल्कि जीएसटी परिषद को यह तय करना है कि ऐसी परिस्थितियों में कमी को कैसे पूरा किया जाये। कई राज्यों ने इस क्षतिपूर्ति की भरपाई भारत सरकार के संचित निधि कोष से करने की मांग की है। लेकिन संसद ने 2017 में इस तरह के संशोधन को खारिज कर दिया था जिसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में आने वाली कमी को भारत के संचित निधि कोष से भुगतान किये जाने का प्रावधान था।
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