नई दिल्ली/टीम डिजिटल। जो आज के हालात हैं उसके आधार पर ऐसा लग रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से मोदी सरकार बन सकती है। पूर्व सांसद डा.विजय दर्डा ने यह विचार रखा। हालांकि महाराष्ट्र में हो रही ऊथल पुथल को देखते हुए उन्होंने कहा कि वहां अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में किसकी सरकार बनेगी, यह बताना अभी से कठिन है।
उन्होंने नए संसद भवन और उसके विरोध को लेकर भी अपनी राय साफ की। उन्होंने कहा कि विरोध करने से पहले हर जन प्रतिनिधि को अपनी जिम्मेवारी का अहसास होना चाहिए और संसद में जिस इलाके के जनप्रतिनिधि के तौर पर पहुंचे हैं, उनके लोगों की समस्याओं के निराकरण पर भी बात होनी चाहिए, गंभीर बहस और चर्चा होनी चाहिए। क्योंकि टैक्स पेयर्स का पैसा केवल विरोध होते रहने की वजह से बर्बाद होना सही बात नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही वे कांग्रेसी विचारधारा से जुड़े हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के नाते वे नरेंद्र मोदी का सम्मान करते हैं और हरेक भारतीय को प्रधानमंत्री का सम्मान करना चाहिए।
अपनी पुस्तक -रिंग साइड-अप, क्लोज एंड पर्सनल ऑन इंडिया एंड बियॉंड- के विमोचन अवसर पर उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के सवालों के जवाब में यह बात कही। उन्होंने संसद के बारे मे कहा कि सांसदों के व्यवहार से संसद की गरिमा बनती है। उन्होंने कहा कि जब तक संसद की गिरावट नहीं रुकेगी तब तक नया भारत नहीं बनेगा।
उन्होंने कहा कि नई संसद 140 करोड़ जनता की आशा का प्रतीक है, लोग अपने नुमाइंदे को भेजते हैं, संसद डिबेट और डिस्कशन के लिए बना है। इसलिए सभी पार्टी के नेताओं की जिम्मेवारी है कि विरोध करते समय टैक्स पेयर्स के पैसे का ख्याल भी रखे क्योंकि इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
लोकमत मीडिया ग्रुप के अध्यक्ष विजय दर्डा ने दावा किया कि जिस तरह का आज वातावरण है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि 2024 के चुनाव में फिर से नरेंद्र मोदी की सत्ता बनेगी। कर्नाटक में जबरदस्त जीत के बावजूद कांग्रेस और उसके भीतर चल रही उठापटक पर उन्होंने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में युवा नेतृत्व की कमी नहीं है, लेकिन जरूरत है कि वरिष्ठ नेताओं को केवल आशीर्वाद देने के काम को करना चाहिए और युवाओं को आगे लाना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और वरिष्ठ नेता शशि थरूर को लेकर पिछले दिनों हुई चर्चाओं पर कहा कि बेहतर होता कि थरूर जैसे नेता को कांग्रेसी चुनते। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेता राहुल गांधी पहले ही साफ कह चुके हैं वे सामाजिक काम करना चाहते हैं और इन दिनों इलाकावार लोगों से मिलकर जानकारी ले रहे हैं।
दर्डा ने कहा कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र भी होना चाहिए। साथ ही मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए मजबूत विपक्ष भी जरूरी है। उन्होंने इसके साथ ही कांग्रेस का साथ छोड़कर जाने वाले बड़े नेताओं पर कहा कि आखिर पार्टी को भी यह समझना चाहिए कि क्यों बड़े नेता साथ छोड़कर जा रहे हैं, आखिर भाजपा में ऐसा क्या चुंबक है, जो खींच रहा है। उन्होंने महाराष्ट्र में पैसे की राजनीति पर सीधेतौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह बोलने से नहीं चूके कि आखिर किस चुनाव में पैसा खर्च नहीं होता है।
संघ में बदलाव और अब व्यक्ति विशेष को अहम माने जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि समय के साथ परिवर्तन होना चाहिए। संघ में भी यही व्यापक बदलाव हुआ है। समय के साथ बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलम की आजादी रखनी होगी और पत्रकारिता करते समय उसकी इज्जत और सम्मान भी करना होगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि बिना किसी पक्षपता और भेदभाव के पूरी पारदर्शिता के साथ की गई पत्रकारिता और अनुभव को इस बुक में भी है। उन्होंने राजनीति को तीन श्रेणियों में भी वर्गीकृत किया। पूर्व प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने कहा कि क्षेत्रीय मीडिया बहुत अच्छा काम कर रहा है, यह अधिक परिपक्वता लाता है।
इस अवसर पर वरिष्ठ नेता डाक्टर फारुख अब्दुल्ला, पत्रकार शेखर गुप्ता, समूह के पदाधिकारी देवेन्द्र दर्डा, भाजपा सांसद वरुण गांधी, भाजपा नेता विनय सहस्रबुद्धे, शामिल रहे। इससे पूर्व स्वर्गीय जवाहर लाल दर्डा को श्रद्धांजलि भी दी गई। किताब में डा.विजय दर्डा ने 2011 से 2016 के बीच के अनुभव और सरकार परिवर्तन तथा आम आदमी पार्टी के उदय आदि से लेकर कई तरह के घटनाक्रम से जुड़े विषयों को छुआ है।
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