नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दबाव में फंसे दूरसंचार क्षेत्र के लिये बड़े सुधार पैकेज को मंजूरी दी। इस पैकेज में सांविधिक बकाये के भुगतान से चार साल की मोहलत, दुलर्भ रेडियो तरंगों को साझा करने की अनुमति, सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) की परिभाषा में बदलाव तथा स्वत: मार्ग से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निन्न्वेश की अनुमति शामिल हैं। एजीआर के आधार पर ही कंपनियों को शुल्क का भुगतान करना होता है। इन राहत उपायों में भविष्य में स्पेक्ट्रम नीलामी में अधिग्रहण किये जाने वाले स्पेक्ट्रम के मामले में स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) को खत्म करना भी शमिल है।
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इन उपायों का मकसद वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों को राहत प्रदान करना है। कंपनी को पिछले सांविधिक बकाया मद में हजारो करोड़ रुपये देने हैं। प्रक्रिया से जुड़े सुधारों के तहत अब प्रीपेड से पोस्ट-पेड कनेक्शन तथा पोस्ट-पेड से प्रीपेड कनेक्शन के लिये नये सिरे से केवाईसी (अपने ग्राहक को जानों) की जरूरत नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को निर्णय की जानकारी देते हुए दूरसंचार मंत्री अन्न्श्विनी वैष्णव ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र के लिये नौ संरचनात्मक सुधारों को मंजूरी दी गयी है। इन सुधारों का उद्देश्य क्षेत्र में स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, ग्राहकों को विकल्प उपलब्ध कराना और नई कंपनियों के आने का रास्ता साफ करना है।
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सरकार ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की परिभाषा से गैर-दूरसंचार आय को आगे से हटाने का निर्णय किया है। दूरसंचार कंपनियों को कानूनी शुल्क के रूप में एजीआर का पहले से तय कुछ प्रतिशत का भुगतान सरकार को करना होगा। लेकिन यह आगे से लागू होगा। गैर-दूरसंचार राजस्व को शामिल करने से वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपये का बकाया जमा हो गया है जिससे वे दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गयी हैं।
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मंत्रिमंडल ने पिछले बकाये के बारे में सालाना भुगतान को लेकर कंपनियों को चार साल की मोहलत दी है। यानी इसे चार साल के लिये टाल दिया गया है। लेकिन दूरसंचार कंपनियों को इस अवधि के दौरान ब्याज का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, सरकार के पास टाली गयी राशि को मोहलत अवधि के अंत में इक्विटी में बदलने का विकल्प होगा। एजीआर से संबंधित बकाये के लौटाने को लेकर मोहलत से नकदी संकट से जूझ रही कंपनियों को कारोबार सुधारने में मदद मिलेगी। और वे समय के साथ बकाये का भुगतान कर सकेंगी। मंत्री ने कहा, ‘‘दूरसंचार राहत पैकेज से सरकार के लिये राजस्व के हिसाब से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।’’ मंत्रिमंडल ने स्वत: मार्ग से क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई को भी मंजूरी दे दी।
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अबतक स्वत: मार्ग से 49 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी थी। उसके बाद के लिये सरकार से मंजूरी की जरूरत पड़ती थी। ताजा उपायों से क्षेत्र की कुछ कंपनियों के समक्ष नकदी की समस्या दूर होने की उम्मीद है। स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है और इस पर अब सालाना संचयी दर होगी। स्पेक्ट्रम अब लौटाया जा सकता है और साझा किया जा सकता है। स्पेक्ट्रम नीलामी को लेकर समयसीमा का निर्धारण किया जाएगा। स्पेक्ट्रम की नीलामी अब वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में होगी। साथ ही टावर लगाने की प्रक्रिया को स्व-मंजूरी के आधार पर सरल बनाया गया है।
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मंत्रिमंडल ने स्पेक्ट्रम शुल्क को युक्तिसंगत बनाया है। इसके तहत स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क पर ब्याज को मासिक के बजाय सालाना संयोजित किया जाएगा तथा ब्याज दर में कमी की जाएगी।’’ पैकेज से 4जी सेवाओं के विस्तार, नकदी डाले जाने और 5जी नेटवर्क में निवेश को लेकर अनुकूल माहौल बनने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल उच्चतम नयायालय ने एजीआर की पुरानी परिभाषा के आधार पर कानूनी बकाये के भुगतान का आदेश दिया था।
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भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस कम्युनिकेशंस पर लाइसेंस शुल्क के रूप में केंद्र का 92,000 करोड़ रुपये और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क मदï में 41,000 करोड़ रुपये का बकाया है। दूरसंचार मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र में जिन संरचनात्मक और प्रक्रियागत सुधारों को मंजूरी दी है,उससे ‘ रोजगार के अवसरों की रक्षा और सृजन, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने, नकदी बढ़ाने, निवेश को प्रोत्साहित करने और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) पर नियामकीय बोझ कम होने की उम्मीद है।’’
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