Monday, May 29, 2023
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MODI सरकार के पास नहीं हैं किसानों की आमदनी के आंकड़े, 2015-16 के बाद नहीं रखा आय का डेटा....

  • Updated on 9/25/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्र सरकार ने कृषि विधयक सदन में पास तो करा लिए लेकिन सरकार के पास देश के किसानों की आमदनी को लेकर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। इस बारे में आर्थिक सर्वे के अध्याय सात में मिली जानकारी के आधार पर बताया गया है। 

आर्थिक सर्वे से मिली जानकारी के अनुसार, 2014-15 में राष्ट्रीय आमदनी में खेती का योगदान 18.2%  था, जो 2019-20 में गिरकर 16.5% रह गया है। 

वहीँ, 2014-15 से लेकर मौजूदा समय तक खेती में विकास दर पहले की तरह नहीं रही है। 2016-17 में खेती की अधिकतम विकास दर 6.3% की दर्ज हुई थी, जो 2019-20 में गिरकर 2.8% रह गई और किसानों की आय कितनी है इसका नया डेटा सरकार के पास नहीं है। 

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इस बारे में फाइनेंशियल एक्सप्रेस में एक रिपोर्ट छपी है, जिसके अनुसार, 2015-16 के बाद किसानों की औसत आय का डेटा आना ही बंद हो चुका है। पिछले साल 2019 में राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने बताया था कि हरियाणा के किसानों की कमाई सबसे अधिक होती है। हरियाणा के किसानों की एक महीने की कमाई 14,434 रुपए है।

वहीँ, आर्थिक सर्वे की माने तो विश्व कृषि व्यापार में भारत का योगदान लगभग 2.15% है। जबकि भारतीय कृषि निर्यात के मुख्य भागीदारों में नेपाल, संयुक्त राज्य अमेरिका, ईरान,सऊदी अरब और बांग्लादेश शामिल हैं। आर्थिक सुधारों की शुरुआत से यानी साल 1991 से भारत कृषि उत्पादों के निर्यात को लगातार बनाए हुए है जिसने निर्यात से 2.7 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को हासिल किया और वर्ष 2018-19 में 1.37 लाख करोड़ रुपए का आयात किया।

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वहीं, किसान नए बिलों को लेकर किसान परेशान हैं। उन्हें डर है कि इन बिल के लागू होने से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP- Minimum Support Price) नहीं मिलेगा बल्कि किसानों को इसके खत्म होने का पूरा अंदेशा है। हालांकि सरकार इस बात को ख़ारिज करती आ रही है। 

दरअसल, इस नए बिल के जरिए सरकार ने मंडी से बाहर भी कृषि कारोबार का रास्ता खोल दिया है। अब मंडी के बाहर भी लेन-देन हो सकेगा। जहां मंडी के अंदर लाइसेंसी ट्रेडर किसान से उसकी उपज एमएसपी पर लेते रहे हैं लेकिन बाहर कारोबार करने वालों के लिए एमएसपी को बेंचमार्क नहीं बनाया गया है ऐसे में मंडी से बाहर एमएसपी मिलने की कोई गारंटी नहीं होगी।

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